पॉलीटिकल डेस्क
भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशियों की लिस्ट आने के बाद पूरे देश में चुनावी सरगर्मी बढ़ गई है। चूंकि मैदान में प्रत्याशी आ गए है तो कई जगह कांटे की टक्कर होती दिख रही है। प्रधानमंत्री मोदी एक बार फिर बनारस से ताल ठोकेंगे तो वहीं अमेठी से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को स्मृति इरानी टक्कर देंगी। वहीं बागपत में जयंत चौधरी गठबंधन के सहारे भाजपा प्रत्याशी सत्यपाल सिंह को चुनौती देने के लिए तैयार है तो बदायूं में बीजेपी ने संघमित्रा को उतार कर सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव को घेरने की कोशिश की हैं। भारतीय जनता पार्टी ने कल अपने 184 प्रत्याशियों की लिस्ट जारी की थी। इस लिस्ट में उत्तर प्रदेश के 28 सीटों के भी प्रत्याशियों का नाम था। इसमें कुछ सीटों पर कांटे की टक्कर होने वाली है तो कुछ सीटों पर कोई खास मुकाबला नहीं दिख रहा।
रालोद के हौसले हैं बुलंद
राष्ट्रीय लोक दल की नई पीढ़ी जयंत चौधरी इस बार बागपत से चुनावी मैदान में हैं। पिछली बार मोदी लहर के चलते सत्यपाल सिंह ने उनके पिता अजित सिंह को यहां पर पटखनी दी थी, लेकिन कैराना में जिस फॉर्मूले ने काम किया, उसके बाद रालोद के हौसले बुलंद हैं। जयंत चौधरी, सपा-बसपा-रालोद के संयुक्तउम्मीदवार हैं। फिलहाल बीजेपी प्रत्याशी सत्यपाल सिंह के लिए इस बार की जंग आसान नहीं होने वाली है।

मुंबई पुलिस कमिश्नर रहे सत्यपाल सिंह ने पहली बार 2014 में चुनाव लड़ा और पहली ही बार में दो लाख वोटों से जीतकर लोकसभा पहुंचे। दिलचस्प बात ये है कि 2014 में इस सीट से लडऩे वाले अजित सिंह तीसरे स्थान पर रहे थे, लेकिन इस बार मामला सपा-बसपा-रालोद गठबंधन का है। आंकड़ों की बाजीगरी में जाएं और 2014 के सपा, बसपा और रालोद के वोटों को मिला दिया जाए तो वो भाजपा से कहीं आगे ठहरता है।
2014 में अजीत सिंह रहे थे तीसरे स्थान पर
पश्चिमी उत्तर प्रदेश का सियासी गढ़ और जाटलैंड माने जाने वाली लोकसभा सीट बागपत में इस बार भी पूरे देश की नजरें हैं। देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह यहां से ही सांसद रह चुके हैं और उसके बाद उनके बेटे अजित सिंह ने यहां पर कई बार चुनाव जीता, लेकिन 2014 में चली मोदी लहर के दम पर भारतीय जनता पार्टी ने यहां परचम लहराया और मुंबई पुलिस के कमिश्नर रह चुके सत्यपाल सिंह सांसद चुने गए, जबकि अजित सिंह इस सीट पर तीसरे नंबर पर रहे थे। उनको 20 फीसदी से भी कम वोट मिले, लेकिन इस बार मामला सपा-बसपा और रालोद गठबंधन का है।

2014 में समाजवादी पार्टी को कुल 213,609 वोट (21.3 फीसदी) मिला। इस बार आरएलडी सपा-बसपा का वोट अपने पक्ष में करने में कामयाब होती है तो बीजेपी के लिए डगर आसान नहीं होगी। शायद, यही वजह है कि जाट समुदाय के बीच ठीकठाक पकड़ रखने वाले जयंत चौधरी 2014 के उलट, सत्यपाल सिंह के लिए चुनौती खड़ी कर सकते हैं।
जातीय समीकरण
मेरठ और बागपत जैसे क्षेत्र से जुड़े बागपत में 16 लाख से भी अधिक मतदाता हैं। इनमें करीब 9 प्रतिशत जाट हैं, यही कारण है कि रालोद यहां पर मजबूत है। जाट समुदाय के वोटरों के बाद यहां मुस्लिम वोटरों की संख्या सबसे अधिक है। बागपत लोकसभा क्षेत्र में कुल 5 विधानसभा सीटें आती हैं, जिसमें सिवालखास, छपरौली, बड़ौत, बागपत और मोदीनगर विधानसभा सीटें हैं।
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