
पॉलीटिकल डेस्क
लोकसभा चुनाव के पहले चरण का नामांकन आज से शुरु हो गया और बिहार में महागठबंधन में मची रार थमने का नाम नहीं ले रही है। रार का नतीजा है कि महागठबंधन टूट के कगार पर पहुंच गया है। सीट बंटवारे को लेकर मची रार की वजह से सारे रास्ते बंद होते दिख रहे हैं। कांग्रेस की दबाव की राजनीति, जीतनराम की महत्वाकांक्षा और लालू प्रसाद की चालाकी के चलते सहमति नहीं बन पा रही है।
कांग्रेस 11 से कम के लिए तैयार नहीं
बिहार में लोकसभा की 40 सीटें है। महागठबंधन में राजद कांग्रेस को आठ सीटों से ज्यादा देने के पक्ष में नहीं है और कांग्रेस 11 से कम के लिए तैयार नहीं है। हफ्ते भर से दिल्ली में बैठे राजद नेता तेजस्वी यादव की कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से रविवार की बात-मुलाकात का भी नतीजा नहीं निकल सका।
मामले की गंभीरता को समझते हुए देर रात तक अहमद पटेल प्रयास करते रहे। अगर बात नहीं बनी तो रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा और वामदलों के साथ गठबंधन बनाकर कांग्रेस आगे बढ़ जाएगी, जबकि राजद जीतनराम मांझी और मुकेश सहनी को साथ रखने की कोशिश में जुटा रहेगा।
संकट का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि राहुल से तेजस्वी की बात के बाद दिल्ली और पटना में बैठे महागठबंधन के सहयोगी दलों के शीर्ष नेताओं के फोन देर रात घनघनाने लगे। पूछा जाने लगा कि गठबंधन अगर टूटता है तो आप किसके पक्ष में रहेंगे।
इसके पहले राजद की ओर से वामदलों को दो दिन इंतजार करने की सलाह देकर भी संकेत दे दिया गया था। कांग्रेस को भी खतरे का अहसास हो गया है। तभी उसने बिहार के अपने सभी शीर्ष नेताओं को दिल्ली तलब कर लिया है। सोमवार को दिल्ली में बिहार के मसले पर कांग्रेस की अहम बैठक होने वाली है।
मामला उलझा है तेजस्वी के ट्वीट से ही हो गया था साफ
दो दिन पहले तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर चंद सीटों के लिए अहंकार से बचने की सलाह दी थी। तेजस्वी के ट्वीट से कांग्रेस के साथ राजद के संबंधों में खटास का अंदाजा हो गया था। तेजस्वी के ट्वीट को कांग्रेस के लिए चेतावनी माना जाने लगा।
सूत्रों का दावा है कि राजद का यह स्टैंड कांग्रेस को नागवार लगा। उपेंद्र कुशवाहा को आनन-फानन में दिल्ली तलब कर लिया गया। कांग्रेस से सदानंद सिंह को भी बुलाया गया। गुजरात से लौटकर बिहार कांग्रेस प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल भी दिल्ली पहुंच गए हैं।
कैसे उलझा मामला
सीटों को लेकर महागठबंधन में शुरु से ही रार मचा हुआ था। कांग्रेस किसी तरह 11 पर तैयार हुई तो जीतन राम मांझी 5 सीट पर अड़ गए। मुकेश सहनी भी दरभंगा की जिद पर दोबारा अड़ गए। पप्पू यादव की कहानी भी लटक गई। अनंत सिंह पर भी नए तरीके अड़ंगा डाल दिया गया। कुल मिलाकर मामला उलझता गया।
कांग्रेस से राजद की नाराजग सीटों को चुनने को लेकर हुई। कांग्रेस ने चालाकी करते हुए अपनी मनमाफिक सीटें चुन ली हैं। लालू की कोशिश कांग्रेस को कुछ वैसी सीटें भी देने की थी, जिन पर कड़ा मुकाबला हो सकता है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने सहयोगी दलों पर दबाव बनाते की मंशा से अपनी ओर से 11 सीटों पर समझौते का बयान मीडिया को देने लगे। राजद को यह रास नहीं आया।
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