
डेस्क। रंगों का त्योहार होली इस बार चैत कृष्ण प्रतिपदा गुरुवार 21 मार्च को मनाया जाएगा। इससे एक दिन पहले 20 मार्च को होलिका दहन होगा। इस बार होलिका दहन पर काफी दुर्लभ संयोग बन रहे हैं। इन संयोगों के बनने से कई अनिष्ट दूर होंगे। मान्यता के अनुसार होलिका में आग लगाने से पहले विधिवत पूजन करने की परंपरा है।

होलिका दहन का मुहूर्त
शुभ मुहूर्त शुरू – रात 08:58 से
शुभ मुहूर्त खत्म – रात 12:05 तक।
भद्रा का समय – भद्रा पुंछ : शाम 5.24 से शाम 6.25 बजे तक।
भद्रा मुख : शाम 6.25 से रात 8.07 बजे तक।
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पूजा की सामग्री
गोबर से बनी होलिका और प्रहलाद की प्रतिमाएं, माला, रोली, फूल, कच्चा सूत, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, पांच या सात प्रकार के अनाज जैसे नए गेहूं और अन्य फसलों की बालियां, एक लोटा जल, बड़ी-फुलौरी, मीठे पकवान, मिठाइयां और फल।
होलिका दहन पूजा-विधि-
- होलिका पूजन के लिए पूर्व या उत्तर की ओर अपना मुख करके बैठें।
- अब अपने आस-पास पानी की बूंदे छिड़कें।
- गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमा बनाएं।
- थाली में रोली, कच्चा सूत, चावल, फूल, साबुत हल्दी, बताशे, फल और एक लोटा पानी रखें।
- भगवान नरसिंह का स्मरण करते हुए प्रतिमाओं पर रोली, मौली, चावल, बताशे और फूल अर्पित करें।
- सभी सामान लेकर होलिका दहन वाले स्थान पर ले जाएं।
- अग्नि जलाने से पहले अपना नाम, पिता का नाम और गोत्र का नाम लेते हुए अक्षत उठाएं और भगवान गणेश का स्मरण कर होलिका पर अर्पण करें।
- इसके बाद प्रहलाद का नाम लें और फूल चढ़ाएं।
- भगवान नरसिंह का नाम लेते हुए पांचों अनाज चढ़ाएं।
- अब दोनों हाथ जोड़कर अक्षत, हल्दी और फूल चढ़ाएं।
- कच्चा सूत हाथ में लेकर होलिका पर लपेटते हुए परिक्रमा करें।
- आखिर में गुलाल डालकर लोटे से जल चढ़ाएं।
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