- ईरान पर गंभीर आरोप
- लंबी दूरी की मिसाइलों के लिए जैविक-रासायनिक हथियारों पर काम की आशंका
तेहरान/वॉशिंगटन। ईरान की सेना पर लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों के लिए जैविक और रासायनिक हथियार तैयार करने के आरोप सामने आए हैं।
सूत्रों के मुताबिक, इस परियोजना पर इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) की एयरोस्पेस फोर्स काम कर रही है और बीते कुछ महीनों में इन गतिविधियों में तेजी आई है।
बताया जा रहा है कि अमेरिका और इजराइल से संभावित सैन्य टकराव की आशंका को देखते हुए ईरान ने यह कदम उठाया है।
इसी बीच इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अमेरिका के फ्लोरिडा पहुंचे हैं, जहां उनकी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात प्रस्तावित है।
माना जा रहा है कि इस बैठक में ईरान के खिलाफ संभावित सैन्य विकल्पों पर चर्चा हो सकती है। अमेरिका और इजराइल को संदेह है कि ईरान अपने बैलिस्टिक मिसाइल ढांचे को दोबारा मजबूत कर रहा है और जून में हुई सीमित झड़पों के दौरान क्षतिग्रस्त हुए एयर डिफेंस सिस्टम को भी दुरुस्त कर चुका है।
बड़े संघर्ष की तैयारी का दावा
सूत्रों का कहना है कि ईरान मिसाइलों को इस तरह विकसित कर रहा है कि वे रासायनिक और जैविक हथियार ले जाने में सक्षम हों।
इसके साथ ही, मिसाइलों के कमांड और कंट्रोल सिस्टम को भी अपग्रेड किया जा रहा है, ताकि बड़े युद्ध की स्थिति में इनका प्रभावी इस्तेमाल किया जा सके।
एक सूत्र के अनुसार, ईरानी नेतृत्व इन हथियारों को अपनी पारंपरिक मिसाइल क्षमता के साथ एक अतिरिक्त ‘डिटरेंस’ के रूप में देखता है, जिससे विरोधी देशों के लिए युद्ध की कीमत बढ़ाई जा सके।
ईरान के पुराने दावों से टकराव
हालांकि, ये आरोप ईरान के पहले के बयानों से मेल नहीं खाते। करीब छह महीने पहले ईरान के विदेश मंत्री ने कहा था कि उनका देश आधुनिक इतिहास में रासायनिक हथियारों का सबसे बड़ा शिकार रहा है।
उन्होंने 1980 के दशक में इराक के तानाशाह सद्दाम हुसैन द्वारा सरदश्त शहर पर किए गए मस्टर्ड गैस हमले का हवाला दिया था, जिसमें 100 से अधिक लोगों की मौत हुई थी।
बावजूद इसके, सूत्रों का दावा है कि ईरानी नेतृत्व का मानना है कि यदि देश के अस्तित्व पर खतरा हो, तो ऐसे हथियारों का इस्तेमाल जायज ठहराया जा सकता है।

नए प्रतिबंधों की आशंका
पिछले सप्ताह पश्चिमी खुफिया एजेंसियों ने IRGC से जुड़ी कुछ असामान्य गतिविधियों पर नजर रखी है, जिनमें कमांड सिग्नल, सैन्य तैनाती और लॉजिस्टिक मूवमेंट शामिल हैं।
सैन्य विशेषज्ञों का कहना है कि यदि ये रिपोर्ट सही साबित होती हैं, तो इससे मध्य पूर्व में शक्ति संतुलन प्रभावित हो सकता है और ईरान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कड़ी आलोचना के साथ नए प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है।
ईरान लगातार ऐसे हथियार विकसित करने के आरोपों से इनकार करता रहा है और दावा करता है कि वह अंतरराष्ट्रीय समझौतों का पालन करता है। इसके बावजूद उसका मिसाइल कार्यक्रम पश्चिमी देशों और क्षेत्रीय शक्तियों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।
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