Monday - 29 December 2025 - 11:21 AM

कुरान–सुन्नत आधारित कानून के ऐलान पर बंटा बांग्लादेश, तस्लीमा नसरीन ने बताया खतरा

जुबिली न्यूज डेस्क

बांग्लादेश की राजनीति में धर्म और कानून को लेकर बहस एक बार फिर तेज हो गई है। आगामी चुनावों से पहले बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर के एक बयान ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी है। उन्होंने साफ कहा है कि देश में कुरान और सुन्नत से बाहर कोई कानून स्वीकार नहीं किया जाएगा

कुरान और सुन्नत के दायरे में कानून की वकालत

रविवार को ठाकुरगांव सदर उपजिला में धार्मिक विद्वानों के साथ बैठक के दौरान मिर्जा फखरुल ने कहा कि एक वर्ग जानबूझकर यह भ्रम फैला रहा है कि BNP इस्लामी मूल्यों के खिलाफ है। उन्होंने स्पष्ट किया कि पार्टी हमेशा कुरान और सुन्नत के आदर्शों के भीतर रहकर शासन व्यवस्था चाहती है।

उनके शब्दों में, “इस्लाम शांति का धर्म है और हम शांति चाहते हैं। चुनाव के माध्यम से हम एक शांतिपूर्ण और नया बांग्लादेश बनाना चाहते हैं।”

उन्होंने यह भी कहा कि बांग्लादेश की करीब 90 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है और BNP ने हमेशा नागरिकों के धार्मिक मूल्यों और संस्कृति की रक्षा की है।

मौजूदा सरकार पर गंभीर आरोप

BNP महासचिव ने देश की मौजूदा स्थिति को लेकर तीखे आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि पिछले 15 वर्षों में लोकतांत्रिक संस्थानों को कमजोर, अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाया गया और बैंकों की लूट व धन की विदेशों में तस्करी हुई।

उनका आरोप है कि सत्ता में बने रहने के लिए ऐसे कानून लागू किए गए, जिनसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता खत्म हो गई और विरोध की आवाज़ को दबाया गया।

चुनाव, दमन और जन आंदोलन का जिक्र

मिर्जा फखरुल ने दावा किया कि राजनीतिक कार्यकर्ताओं के साथ-साथ उलेमा और धार्मिक विद्वानों को भी गिरफ्तार और प्रताड़ित किया गया। उन्होंने 2024 के जन आंदोलन का हवाला देते हुए कहा कि करीब 2000 छात्रों की गोली मारकर हत्या कर दी गई और ढाका की सड़कों पर खून बहा।

उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री बेगम खालिदा जिया को कथित “झूठे मामलों” में छह साल जेल में रखे जाने और इलाज न मिलने का मुद्दा भी उठाया।

तस्लीमा नसरीन की तीखी प्रतिक्रिया

BNP के इस रुख पर लेखिका और मानवाधिकार कार्यकर्ता तस्लीमा नसरीन ने तीखा हमला बोला है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि BNP “मुस्लिम टोपी पहनकर जमात-ए-इस्लामी से भी बड़ी जमात बनने की कोशिश” कर रही है।

तस्लीमा नसरीन का कहना है कि अगर कुरान और हदीस आधारित कानून लागू किए गए तो इसका सबसे ज्यादा नुकसान महिलाओं, गैर-मुसलमानों और अल्पसंख्यकों को होगा।

‘धार्मिक कानून सभ्यता के खिलाफ’

तस्लीमा नसरीन ने कहा, “किसी भी सभ्य देश में धार्मिक कानून नहीं होते। ये कानून मानवाधिकार-विरोधी, महिला-विरोधी, समानता और आधुनिकता के खिलाफ होते हैं।”

उनके अनुसार, ऐसे कानून समाज में नफरत, हिंसा और भेदभाव को बढ़ावा देते हैं और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को खत्म कर देते हैं।

ये भी पढ़ें-ट्रंप–जेलेंस्की की 3 घंटे की बैठक, शांति समझौते के करीब?

चुनाव से पहले गरमाई सियासत

विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे-जैसे बांग्लादेश चुनाव नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे धर्म और कानून जैसे संवेदनशील मुद्दों पर राजनीतिक बयानबाजी और तेज होगी। BNP का यह बयान और उस पर तस्लीमा नसरीन की प्रतिक्रिया आने वाले दिनों में देश की राजनीति को और गरमा सकती है।

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com