जुबिली न्यूज डेल्क
जयपुर: अरावली पहाड़ियों की नई परिभाषा के खिलाफ आज जयपुर में जेन ज़ी के युवाओं ने प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट की हालिया परिभाषा केवल ऊँचाई पर आधारित है और इससे कई पर्यावरणीय रूप से महत्वपूर्ण पहाड़ियाँ खतरे में पड़ सकती हैं।

सुप्रीम कोर्ट की नई परिभाषा
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अरावली पहाड़ी वह ज़मीन मानी जाएगी जो आसपास की जमीन से कम से कम 100 मीटर (328 फीट) ऊँची हो।
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दो या अधिक पहाड़ियाँ जो 500 मीटर के दायरे में हों और उनके बीच जमीन मौजूद हो, उन्हें अरावली शृंखला में शामिल किया जाएगा।
पर्यावरण विशेषज्ञों की चिंता
पर्यावरणविदों का कहना है कि सिर्फ ऊँचाई के आधार पर अरावली को परिभाषित करने से 100 मीटर से कम ऊँची पहाड़ियों पर माइनिंग और निर्माण का रास्ता खुल जाएगा। ये पहाड़ियाँ झाड़ियों से ढकी हुई हैं और स्थानीय इकोसिस्टम के लिए महत्वपूर्ण हैं।
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केंद्र सरकार की कार्रवाई
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने कहा है कि अरावली क्षेत्र में नई माइनिंग लीज़ जारी करने पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है। यह प्रतिबंध संपूर्ण अरावली क्षेत्र पर लागू होगा। इस फैसले से राजस्थान समेत पूरे भारत में अरावली पहाड़ियों की सुरक्षा और संरक्षण को मजबूती मिलेगी।
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