जुबिली न्यूज डेस्क
नई दिल्ली, देश की सबसे बड़ी एयरलाइन IndiGo द्वारा 1000 से ज्यादा उड़ानें रद्द करने और कई उड़ानों में भारी देरी के बाद उत्पन्न संकट पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करेगा। इस मुद्दे पर अधिवक्ता नरेंद्र मिश्रा ने जनहित याचिका (PIL) दायर कर कोर्ट से स्वतः संज्ञान लेने और तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है।

PIL में क्या कहा गया?
याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि अचानक और व्यापक स्तर पर उड़ानें रद्द होने से हजारों यात्रियों को भारी परेशानी, आर्थिक और मानसिक तनाव का सामना करना पड़ा है। याचिका में मांग की गई है कि:
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यात्रियों को वैकल्पिक यात्रा की सुविधा तुरंत उपलब्ध कराई जाए
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प्रभावित लोगों को उचित मुआवजा दिया जाए
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इस संकट को “मानवीय आपदा” बताते हुए कोर्ट तत्काल कदम उठाए
याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि उड़ानें रद्द होने की वजह के रूप में बताए जा रहे नए FDTL (Flight Duty Time Limit) नियमों को गलत ढंग से लागू किया गया, जिससे पायलटों और स्टाफ पर अनावश्यक दबाव बढ़ा। साथ ही, इस पूरे घटनाक्रम को अनुच्छेद 21 (जीवन व व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार) का उल्लंघन बताया गया है।
CJI के हस्तक्षेप की अपील
6 दिसंबर को याचिकाकर्ता के वकील नरेंद्र मिश्रा सीधे CJI जस्टिस सूर्यकांत के आवास पहुंचे और मामले की तत्काल सुनवाई की मांग की।
वकील मिश्रा के अनुसार:
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CJI ने याचिका का संज्ञान लेते हुए स्टाफ को उचित दिशा-निर्देश दिए
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OSD कुंतल शर्मा पाठक से संपर्क नंबर उपलब्ध कराया गया
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जल्द सुनवाई का आश्वासन दिया गया था
आज (8 दिसंबर) इसी पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है।
IndiGo कर्मचारी और यात्रियों की स्थिति
हाल ही में सामने आई रिपोर्ट्स में बताया गया कि:
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कर्मचारी 14–15 घंटे तक काम कर रहे हैं
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कई कर्मचारियों की सैलरी लगभग 40,000 रुपये
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स्टाफ की कमी के बीच कार्यभार बढ़ना और नई नीतियाँ संकट को और गहरा कर रही हैं
उधर, यात्रियों को एयरपोर्ट पर लंबी कतारें, टिकट कैंसिलेशन, और री-शेड्यूलिंग की भारी समस्या झेलनी पड़ रही है।
IndiGo पर पहले भी उठे सवाल
इसी सप्ताह खबरें आई थीं कि:
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एयरलाइन ने 610 करोड़ रुपये से अधिक रिफंड जारी किए
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3000 से ज्यादा बैग यात्रियों को लौटाए
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स्थिति धीरे-धीरे सामान्य होने की कोशिश में है
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