जुबिली स्पेशल डेस्क
अल फलाह यूनिवर्सिटी के संस्थापक जवाद अहमद सिद्दीकी को दिल्ली स्थित साकेत कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) की रिमांड में भेज दिया है। इससे पहले ईडी ने मंगलवार को लाल किला कार धमाके से जुड़े पहलुओं की जांच के दौरान यूनिवर्सिटी के ट्रस्टियों और प्रवर्तकों के दिल्ली-एनसीआर में कई ठिकानों पर छापेमारी की थी। इसी कार्रवाई के बाद जवाद अहमद को मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार किया गया।
किस मामले में हुई गिरफ्तारी?
ईडी ने जवाद सिद्दीकी को PMLA 2002 की धारा 19 के तहत गिरफ्तार किया। कार्रवाई के दौरान मिले दस्तावेज़ों, डिजिटल डाटा और वित्तीय रिकॉर्ड के आधार पर एजेंसी ने पाया कि अल फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट लंबे समय से फर्जी मान्यता और गलत दावों का इस्तेमाल कर अरबों रुपये की कमाई कर रहा था।
रिमांड नोट में बड़े खुलासे
ईडी के रिमांड नोट के मुताबिक यूनिवर्सिटी ने फर्जी मान्यता (Fake Accreditation) का दावा कर छात्रों को एडमिशन दिया और 415 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की।
ITR जांच में पता चला कि
2014-15 में 30.89 करोड़
2015-16 में 29.48 करोड़ रुपये
को दान (Donation) दिखाया गया।
2016-17 के बाद से यूनिवर्सिटी ने अपनी बड़ी आय को शैक्षणिक कमाई के रूप में दिखाना शुरू किया।
2018-19 में यह आय 24.21 करोड़ थी, जबकि 2024-25 में बढ़कर ₹80.01 करोड़ तक पहुँच गई।
मामला कैसे शुरू हुआ?
ED की जांच दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की 2 FIR पर आधारित है, जो 13 नवंबर को दर्ज की गई थीं। इन FIR में आरोप था कि—
यूनिवर्सिटी ने NAAC Accreditation होने का झूठा दावा किया।
UGC के सेक्शन 12(B) के तहत मान्यता होने की गलत जानकारी फैलाई।
उद्देश्य था— छात्रों, अभिभावकों और जनता को गुमराह कर आर्थिक लाभ कमाना।
UGC ने आधिकारिक तौर पर स्पष्ट किया कि—
अल फलाह यूनिवर्सिटी केवल सेक्शन 2(f) के तहत स्टेट प्राइवेट यूनिवर्सिटी है।
यूनिवर्सिटी ने 12(B) मान्यता के लिए कभी आवेदन ही नहीं किया।
अल फलाह ट्रस्ट का ढांचा
अल फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना: 8 सितंबर 1995
जवाद अहमद सिद्दीकी शुरुआत से ट्रस्टी और पूरे ग्रुप के वास्तविक नियंत्रक।
1990 के दशक से ट्रस्ट का तेजी से विस्तार, जो इसकी घोषित वित्तीय क्षमता से मेल नहीं खाता।
ED की छापेमारी में क्या मिला?
मंगलवार को ED ने दिल्ली-एनसीआर में 19 लोकेशनों पर रेड की। इसमें यूनिवर्सिटी से जुड़े कई घर और ऑफिस शामिल थे।
छापेमारी में:
48 लाख रुपये से अधिक कैश
डिजिटल डिवाइस
कई अहम दस्तावेज़
शेल कंपनियों के सबूत
बरामद हुए।
- जांच में यह भी सामने आया कि—
- ट्रस्ट के फंड को परिवार की निजी कंपनियों में डायवर्ट किया गया।
- निर्माण, कैटरिंग और अन्य ठेके जवाद की पत्नी और बच्चों की कंपनियों को दिए गए।
- पैसों की लेयरिंग, गलत लेनदेन और नियमों का व्यापक उल्लंघन किया गया।
ED का दावा
एजेंसी के अनुसार जवाद सिद्दीकी ही ट्रस्ट और यूनिवर्सिटी के सभी वित्तीय फैसले कंट्रोल करते थे।उन्होंने गलत तरीके से कमाए गए पैसों को छिपाया और कई चैनलों के जरिए घुमाया।यही कारण है कि उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार किया गया।
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