जुबिली न्यूज डेस्क
महाराष्ट्र की राजनीति में मंगलवार को बड़ा राजनीतिक ड्रामा देखने को मिला, जब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की मौजूदगी के बावजूद उनकी पार्टी के कोई भी मंत्री मंत्रिमंडल की बैठक में शामिल नहीं हुआ। बैठक मंत्रालय में थी, लेकिन सभी मंत्री सीएम ऑफिस में ही बैठे रहे। बाद में उन्होंने अलग से उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की और अपनी शिकायतें सामने रखीं।

रवींद्र चव्हाण पर गंभीर आरोप
शिंदे गुट के मंत्रियों ने मंत्री रवींद्र चव्हाण के खिलाफ तीखी नाराज़गी जताई। उनका आरोप है कि चव्हाण “शिवसेना कार्यकर्ताओं को गुलाम बनाने की कोशिश कर रहे हैं” और संगठन को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
फंड वितरण से असंतुष्ट शिंदे गुट
सूत्रों के मुताबिक, शिंदे की पार्टी के मंत्री फंड वितरण को लेकर खास नाराज़ हैं। उनका कहना है कि विभागों को पर्याप्त संसाधन नहीं दिए जा रहे और राजनीतिक रूप से उन्हें कमजोर करने की कोशिश की जा रही है। यही वजह है कि मंत्रियों ने आज की कैबिनेट बैठक से दूरी बनाई, जिससे राजनीतिक हलकों में कई अटकलें तेज हो गई हैं।
स्थानीय निकाय चुनाव से बढ़ी बेचैनी
निकाय चुनावों से पहले महाराष्ट्र में सियासी समीकरण बदलते दिख रहे हैं। स्थानीय स्तर पर शिंदे गुट को तगड़ा झटका लगा है, क्योंकि कई पूर्व शिवसेना नगरसेवक बीजेपी में शामिल हो रहे हैं। कल्याण-डोंबिवली में दर्जनों नेताओं के बीजेपी में जाने से शिवसेना में रोष गहरा गया है। शिंदे गुट का आरोप है कि बीजेपी न सिर्फ उनके नेताओं को तोड़ रही है, बल्कि चुनावी तैयारी में भी उन्हें कमजोर कर रही है।
दो दिन में समन्वय समिति की बैठक
स्थिति को काबू में रखने के लिए दो दिन में समन्वय समिति की बैठक बुलाई गई है, जिसकी अगुवाई उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस करेंगे। उन्होंने दोनों दलों को चेतावनी देते हुए कहा —“एक-दूसरे के नेता तोड़ना बंद करें। अगर आप करेंगे तो गलत नहीं और बीजेपी करेगी तो ऐसा नहीं चलेगा।”
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आदित्य ठाकरे का तंज: ‘चोर ऊपर से शोर’
इस पूरे घटनाक्रम पर शिवसेना (UBT) नेता आदित्य ठाकरे ने तीखा हमला बोला। उन्होंने लिखा —
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“शिंदे गुट के मंत्रियों ने कैबिनेट मीटिंग का बहिष्कार किया, क्योंकि उन्हें मुख्यमंत्री और बीजेपी से गुस्सा है।”
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“ये निकाय चुनावों में सीटों के बंटवारे और अपने पक्ष को तोड़े जाने का आरोप लगा रहे हैं।”
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आदित्य ने तंज कसते हुए कहा—
“इसे कहते हैं चोर ऊपर से शोर! लेकिन मंत्रिमंडल की बैठक का बहिष्कार जनता का अपमान है।”
उन्होंने ये भी कहा कि महाराष्ट्र की जनता के मुद्दों पर चर्चा करने वाली बैठक को व्यक्तिगत नाराज़गी के कारण छोड़ना राज्य के लिए चिंता का विषय है।
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