
अशोक बांबी
दक्षिण अफ्रीका ने वह काम कर दिखाया जिसकी उम्मीद भारतीय थिंक-टैंक ने खुद अपनी रणनीति में भी नहीं की थी।
जिस टर्निंग पिच पर भारत ने स्पिनरों के लिए बढ़त पाने का प्लान बनाया था, वही पिच मेहमान टीम के लिए अधिक फायदेमंद साबित हुई। नतीजा भारतीय टीम को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा।
बॉलर्स ने किया बेहतरीन प्रदर्शन, बैटिंग ने किया निराश
यह हार पूरी तरह गेंदबाजों की वजह से नहीं आई। जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद सिराज ने बेहद कठिन स्पिनिंग ट्रैक पर मिलकर 10 विकेट चटकाकर शानदार प्रदर्शन किया।
बाकी विकेट जडेजा, कुलदीप और अक्षर पटेल ने लिए। वॉशिंगटन सुंदर को पूरे मैच में केवल एक ओवर डालने का मौका मिला, लेकिन उन्होंने बल्लेबाज़ी में नियमित बल्लेबाजों से ज्यादा योगदान देकर अपनी क्षमता साबित की।
पहली पारी में बढ़त न लेना पड़ा महंगा
बुमराह ने अपेक्षाओं से बढ़कर 5 विकेट ले लिए थे, जिससे भारत को पहली पारी में बड़ा स्कोर खड़ा करने का मौका मिला। लेकिन भारतीय बल्लेबाज़ टेस्ट क्रिकेट की मानसिकता के साथ नहीं खेले। उन्होंने ऐसे शॉट खेले जैसे वनडे मैच चल रहा हो। यदि भारत पहली पारी में 100 रनों की बढ़त ले लेता, तो परिणाम बिल्कुल अलग हो सकता था।

कप्तान की भूमिका पर भी उठे सवाल
कप्तान की भूमिका पर भी सवाल उठना लाजमी है। भले ही उन्हें गर्दन में खिंचाव था, लेकिन दर्दनाशक दवा लेकर वह बल्लेबाज़ी कर सकते थे और अक्षर पटेल को अंत तक कुछ सहयोग दे सकते थे।
एक कप्तान से लड़ाकू मानसिकता की उम्मीद की जाती है, लेकिन उन्होंने ऐसा उदाहरण पेश नहीं किया। आलोचकों का कहना है कि वह टेस्ट क्रिकेट से ज्यादा अपने आईपीएल करियर को लेकर चिंतित दिखे।
खराब पिच तैयारी से सबक लेने की जरूरत
भारतीय टीम मैनेजमेंट को इस हार से सबक लेना चाहिए। भारत के तेज़ गेंदबाज़ दुनिया के सर्वश्रेष्ठ में गिने जाते हैं, इसलिए टीम को भविष्य में ऐसी अत्यधिक टर्निंग पिचें नहीं तैयार करनी चाहिए।
टेस्ट मैच चौथे-पाँचवें दिन स्वाभाविक रूप से स्पिन ले, यह ठीक है, लेकिन शुरुआत से ही हद से ज्यादा टर्न होती पिच न बल्लेबाजों के लिए अच्छी है, न क्रिकेट के लिए। दर्शकों के लिए भी यह ठीक नहीं, जिनका पांच दिन का टिकट दो दिन में ही खत्म हो गया।
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