जुबिली स्पेशल डेस्क
पटना. बिहार विधानसभा चुनाव के ताज़ा रुझानों ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। एनडीए ने इस बार चुनावी मैदान में एकतरफा बढ़त बना ली है और तेजस्वी यादव को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है। नतीजे साफ बताते हैं कि नीतीश कुमार का जनाधार अभी भी बरकरार है, जबकि तेजस्वी के वादे जनता को प्रभावित नहीं कर पाए।
चुनाव से पहले माना जा रहा था कि महागठबंधन और एनडीए के बीच कड़ी टक्कर होगी, लेकिन परिणाम इसके उलट रहे।
एनडीए 200 के पार जाता दिख रहा है, जबकि महागठबंधन 36 सीटों के आसपास सिमट गया है।
अगला मुख्यमंत्री कौन?
राजनीतिक हलकों में नीतीश कुमार की पुनः ताजपोशी की चर्चा है, लेकिन कुछ जानकारों का दावा है कि तस्वीर यहाँ से बदल भी सकती है। चर्चा ये भी है कि:
जेडीयू में टूट संभव है और बीजेपी बिहार में अकेले सरकार बनाने की कोशिश कर सकती है।

सीटों का पूरा गणित
- चुनाव आयोग के साढ़े तीन बजे तक के आंकड़ों में:
- बीजेपी – 94 सीटों पर आगे (सबसे बड़ी पार्टी)
- जेडीयू – 84 सीटों पर बढ़त
- अगर भाजपा नीतीश कुमार से दूरी बना लेती है, तो भी उसका गणित कुछ ऐसा बनता है:
- बीजेपी – 94
- एलजेपी (चिराग पासवान) – 19
- हम – 5
- आरएलएसपी (उपेंद्र कुशवाहा) – 4
- इस समीकरण से बीजेपी बिना नीतीश कुमार के भी पूर्ण बहुमत के करीब पहुंच जाती है।
नीतीश के पास विकल्प सीमित
अगर नीतीश कुमार महागठबंधन के साथ जाने की कोशिश भी करें, तब भी उनके पास बहुमत जुटाने के लिए आवश्यक संख्या नहीं है। यानी कि राजनीतिक हालात इस बार उनके खिलाफ नज़र आ रहे हैं।
बिहार में इस बार बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सामने आई है। हालांकि एनडीए ने महागठबंधन की तरह पहले से मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया था, लेकिन चिराग पासवान और जीतन राम मांझी जैसे सहयोगी दलों ने चुनाव प्रचार के दौरान साफ कहा था कि नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री होंगे।
नीतीश कुमार अब तक 9 बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं। क्या वह 10वीं बार भी सीएम कुर्सी तक पहुंच पाएंगे, या इस बार समीकरण कुछ और इशारा कर रहे हैं—इसका फैसला आने वाले राजनीतिक घटनाक्रम ही तय करेंगे।
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