जुबिली न्यूज डेस्क
जम्मू-कश्मीर पुलिस को हाईटेक निगरानी सिस्टम की मदद से आतंकवाद के खिलाफ बड़ी सफलता मिली है। पुलिस ने घाटी के संवेदनशील इलाकों में लगाए गए फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम (FRS) के जरिए एक संदिग्ध की पहचान की और उसे पकड़ने में सफलता हासिल की। पकड़े गए व्यक्ति की पहचान डॉ. आदिल के रूप में हुई है, जो श्रीनगर में जैश-ए-मोहम्मद के पोस्टर लगाते हुए कैमरे में कैद हुआ था।

सूत्रों के अनुसार, जब पुलिस की श्रीनगर टीम ने उस वीडियो की बारीकी से जांच की तो सिस्टम ने चेहरे की पहचान कर संदिग्ध का नाम उजागर किया। इसके बाद टीम ने ट्रैकिंग के जरिए सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) से डॉ. आदिल को गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस पूछताछ में आदिल ने चौंकाने वाला खुलासा किया। उसकी निशानदेही पर अनंतनाग स्थित जीएमसी (Government Medical College) के उसके लॉकर से एक AK-47 राइफल, कारतूस और अन्य असलहा-बारूद बरामद किया गया।
जांच में पता चला कि आदिल का संपर्क एक अन्य साथी डॉ. मुजम्मिल से था, जो फरीदाबाद में छिपा हुआ था। श्रीनगर पुलिस की एक विशेष टीम ने हरियाणा पुलिस के सहयोग से छापा मारकर डॉ. मुजम्मिल को भी गिरफ्तार कर लिया। उसकी गिरफ्तारी के दौरान पुलिस को 360 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री और हथियार मिले हैं।
पुलिस सूत्रों का कहना है कि दोनों डॉक्टरों के संबंध अलकायदा समर्थित आतंकी संगठन ‘अंसार गज़वतुल हिंद’ (AGH) से हैं। यह वही संगठन है जिसे 2017 में हिजबुल मुजाहिदीन के पूर्व कमांडर जाकिर मूसा ने बनाया था। हालांकि 2019 में मूसा के मारे जाने के बाद यह संगठन लगभग निष्क्रिय हो गया था।
अब इन गिरफ्तारियों से सुरक्षा एजेंसियों को संकेत मिले हैं कि यह आतंकी गुट फिर से सक्रिय होने की कोशिश कर रहा है। पुलिस का कहना है कि इस नेटवर्क से जुड़े एक और डॉक्टर की तलाश जारी है, जो फिलहाल फरार है।
जम्मू-कश्मीर पुलिस अधिकारियों ने बताया कि फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम घाटी में सुरक्षा के लिए गेमचेंजर साबित हो रहा है। यह सिस्टम रियल टाइम में संदिग्ध गतिविधियों को मॉनिटर करता है और पुलिस को तुरंत अलर्ट भेजता है।
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पुलिस के मुताबिक, यह कार्रवाई आतंकवाद के खिलाफ चल रही तकनीकी और इंटेलिजेंस आधारित रणनीति की एक बड़ी सफलता मानी जा रही है।
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