जुबिली स्पेशल डेस्क
बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में रिकॉर्ड 65.08% मतदान दर्ज किया गया था। अब दूसरे चरण का मतदान 11 नवंबर को 20 जिलों की 122 सीटों पर हो रहा है। इस चरण में लगभग 3 करोड़ 70 लाख वोटर अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।
इस बार चुनाव का असली रोमांच इस बात पर निर्भर करेगा कि एनडीए और महागठबंधन के सहयोगी दलों का प्रदर्शन किस दिशा में जाता है। वहीं, छोटे दलों की भूमिका भी अहम मानी जा रही है क्योंकि इन चरण में उन्हें मिलने वाली सीटें अधिक हैं।
एनडीए का परिदृश्य
केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की एलजेपी (रामविलास) इस चरण में 28 में से 15 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। एनडीए ने चिराग को कुल 29 सीटें दी थीं, जिसमें से एक का नॉमिनेशन रद्द हो गया था। लोकसभा चुनाव में उनकी 100% जीत की रिकॉर्डिंग को देखते हुए एनडीए ने इस बार उनके दावेदारी को नजरअंदाज नहीं किया।
इसके अलावा पूर्व सीएम जीतनराम मांझी की पार्टी HAM के सभी 6 उम्मीदवार इस चरण में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।
महागठबंधन की स्थिति
महागठबंधन के लिए मगध क्षेत्र इस चरण में निर्णायक साबित हो सकता है। पिछली बार इस क्षेत्र में आरजेडी नेतृत्व वाले गठबंधन ने 26 में से 20 सीटें जीती थीं। इस बार कांग्रेस कुल 61 में से 37 सीटों पर मैदान में है। वहीं, मुकेश सहनी की विकासशील इंसा पार्टी 12 में से 7 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। महागठबंधन ने उनकी पार्टी पर दांव इसलिए लगाया है क्योंकि निषाद वोटों का हिस्सा लगभग 2.6% है।
अन्य क्षेत्रीय हालात
तिरहुत क्षेत्र में एनडीए की पकड़ मजबूत मानी जाती है, यहां उनके पास 30 में से 23 सीटें हैं।
मधुबनी में मंगलवार को कुल 10 में से 8 सीटों पर मतदान होगा।
सीमांचल क्षेत्र में मुस्लिम आबादी अधिक है, और यहां एआईएमआईएम भी मैदान में है। पिछली बार इस पार्टी ने 24 में से 5 सीटों पर जीत हासिल की थी।
इस चरण के नतीजे बिहार की राजनीतिक दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाएंगे।
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