- पहचान लो इन 18 नामों को…दिल्ली‑NCR पर इनका साया, पुर्तगाल से कनाडा तक ठिकाना
जुबिली स्पेशल डेस्क
दाऊद, छोटा राजन और गवली जैसे बड़े गैंगस्टर्स का दौर अब इतिहास बन चुका है। मुंबई का क्राइम नेटवर्क लगभग खत्म हो गया है, लेकिन अब पंजाब और हरियाणा में गैंग्स का बोलबाला है।
ये गैंग्स अब इंटरनेशनल स्तर तक पहुँच चुके हैं। लॉरेंस, टिल्लू, हाशिम बाबा, नंदू, बमबीहा और गोदारा जैसे गैंग्स अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, पुर्तगाल और UAE तक अपनी जड़ें जमा चुके हैं।
भारत से भागे ये अपराधी विदेश में नेटवर्क बना रहे हैं और वहीं से नई भर्ती करते हैं। इनका निशाना दिल्ली-एसीआर और पंजाब-हरियाणा के लोग होते हैं। डॉक्टर, कारोबारी, फिल्मी हस्तियां, नेता और उद्यमी इनके सॉफ्ट टारगेट हैं। ये फायरिंग कर डर फैलाते हैं और सोशल मीडिया पर पोस्ट करके खुद जिम्मेदारी भी लेते हैं।

सरकार ने ऐसे भगोड़े अपराधियों को विदेश से पकड़ने के लिए विशेष ऑपरेशन शुरू किए हैं। हाल ही में दो मोस्ट वांटेड गैंगस्टर वेंकटेश गर्ग और भानु राणा को जॉर्जिया और अमेरिका से हिरासत में लिया गया है। वेंकटेश गर्ग को जॉर्जिया से प्रत्यर्पित किया जा रहा है, जबकि भानु राणा को अमेरिका से डिपोर्ट किया जाएगा।
विदेश में सक्रिय गैंग्स और उनके प्रमुख
- अमेरिका: हैरी बॉक्सर (लॉरेन्स गैंग), अनमोल बिश्नोई (लॉरेन्स का भाई), रोहित गोदारा
- जॉर्जिया: वेंकटेश गर्ग (नंदू गैंग से जुड़ा)
- पुर्तगाल: हिमांशु भाऊ (अपना गैंग + बमबीहा गैंग सपोर्ट), साहिल कादयान, दिनेश गांधी, सौरभ गाडोली
- कनाडा: गोल्डी ढिल्लो (लॉरेन्स गैंग), रोहित गोदारा
- ब्रिटेन/इंग्लैंड: कपिल सागवान उर्फ़ नंदू (अपना गैंग), दीपक पकासमा (टिल्लू गैंग)
- टर्की: राशिद केबलवाला (लॉरेन्स/हाशिम बाबा गैंग)
- थाईलैंड: सचिन गोलू (हाशिम बाबा गैंग)
- UAE: साहिल हरसोली (नंदू गैंग), संजीव दहिया (गोगी गैंग)
विदेश में सक्रिय हैं ये गैंगस्टर्स?
ज्यादातर अपराधी भारत में अपराध करने के बाद विदेश भाग गए। वहाँ के कड़े कानून और प्रत्यर्पण नीति की वजह से भारत में इन्हें पकड़ना मुश्किल होता है। विदेशी जेल में बेहतर सुविधाएं भी इन्हें आकर्षित करती हैं। वहीं विदेश से अपराध करने पर लोग ज्यादा डरते हैं और गैंग का नेटवर्क और मजबूत होता है।
पंजाब और हरियाणा में क्राइम बढ़ने की वजह
पहले भी पंजाब और हरियाणा में अपराध थे, लेकिन विकास के साथ प्रॉपर्टी का बाजार बढ़ा और फिल्म उद्योग व ड्रग्स के कारोबार ने गैंग्स को बढ़ावा दिया। गैंग्स अब प्रॉपर्टी कब्जा, फिल्म निर्माण और ड्रग्स के धंधे से पैसा कमाने लगे। इस प्रतिस्पर्धा में गैंगवार होना आम बात हो गई। सिद्धू मूसेवाला की हत्या ने इस पूरी व्यवस्था को उजागर कर दिया।
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