जुबिली न्यूज डेस्क
बीजिंग ने शुक्रवार (7 नवंबर 2025) को अपनी नौसैनिक शक्ति में ऐतिहासिक बढ़ोतरी करते हुए ‘फुजियान (Type-003)’ एयरक्राफ्ट कैरियर को आधिकारिक रूप से कमीशन कर दिया। यह चीन का सबसे बड़ा और सबसे आधुनिक विमानवाहक पोत है, जिसे पूरी तरह देश में ही डिजाइन और तैयार किया गया है।

चीन की नौसेना को मिली तीसरी “समुद्री दानव” कैरियर शक्ति
फुजियान के शामिल होने से चीन की नौसेना अब तीन कैरियर फ्लीट के साथ दुनिया की सबसे ताकतवर नौसेनाओं में शुमार हो गई है। 80,000 टन की क्षमता और 316 मीटर लंबाई वाला यह जहाज 50 से ज्यादा लड़ाकू विमान और अर्ली वॉर्निंग प्लेन को एक साथ ऑपरेट कर सकता है।
इसमें इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापल्ट सिस्टम (EMALS) लगाया गया है — वही हाई-टेक सिस्टम जो अमेरिका के सुपर कैरियर USS Gerald R. Ford में इस्तेमाल होता है। इससे फुजियान पुराने स्की-जंप डिज़ाइनों की तुलना में 30-50% ज्यादा sorties (वायु मिशन) चला सकता है।
ब्लू-वॉटर नेवी की दिशा में चीन का बड़ा कदम
डिफेंस एक्सपर्ट्स का मानना है कि फुजियान का कमीशन होना चीन की “ब्लू वॉटर नेवी” रणनीति की ओर बड़ा कदम है — यानी वह अब गहरे समुद्रों में लंबे समय तक तैनाती करने में सक्षम हो गया है।यह कदम ऐसे समय में आया है जब ताइवान जलडमरूमध्य और दक्षिण चीन सागर में तनाव बढ़ा हुआ है। अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के लिए यह नया सिरदर्द बन सकता है।
अमेरिका की नौसैनिक बढ़त को सीधी चुनौती
फुजियान की तैनाती से चीन अब गुआम, जापान और ताइवान के आसपास अपनी नौसैनिक मौजूदगी बढ़ा सकता है। यह कदम अमेरिका की इंडो-पैसिफिक में सैन्य बढ़त को चुनौती दे सकता है।हालांकि अमेरिका के पास अभी भी 11 परमाणु-संचालित कैरियर हैं, लेकिन चीन की यह उपलब्धि उसकी “तेजी से बढ़ती सैन्य क्षमता” का संकेत है।
भारत के लिए नई रणनीतिक चुनौती
भारत के दृष्टिकोण से यह विकास बेहद अहम है। चीन पहले से ही ग्वादर (पाकिस्तान) और हंबनटोटा (श्रीलंका) जैसे बंदरगाहों पर अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है — जिसे “स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स” रणनीति कहा जाता है। अगर भविष्य में फुजियान को हिंद महासागर में तैनात किया जाता है, तो यह भारत की समुद्री सुरक्षा और रणनीतिक बढ़त के लिए चुनौती बन सकता है।
भारत की जवाबी तैयारी और संतुलन
भारत फिलहाल दो विमानवाहक पोत — INS विक्रमादित्य और INS विक्रांत — संचालित कर रहा है। तीसरे कैरियर IAC-2 को मंजूरी मिलने की प्रतीक्षा है।भारत क्वाड (Quad) देशों — अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया — के साथ अपनी समुद्री साझेदारी को मजबूत कर रहा है।साथ ही, ब्रहमोस मिसाइल सिस्टम, अत्याधुनिक निगरानी विमान और अंतरराष्ट्रीय नौसैनिक अभ्यास भारत की समुद्री सुरक्षा को मजबूती दे रहे हैं।
इंडो-पैसिफिक में शक्ति संतुलन पर असर
फुजियान का कमीशन होना केवल सैन्य उपलब्धि नहीं, बल्कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शक्ति संतुलन बदलने वाला कदम है। जापान, दक्षिण कोरिया, वियतनाम और फिलीपींस जैसे देश भी इसे अपने सुरक्षा हितों के लिए खतरा मान रहे हैं।
ये भी पढ़ें-आजम खान की सपा प्रमुख अखिलेश यादव से मुलाकात, ‘सबसे बड़ा माफिया’ बयान से मची हलचल
फुजियान का लॉन्च चीन की सैन्य और औद्योगिक क्षमता का नया प्रतीक है। यह फिलहाल अमेरिका या भारत के लिए तात्कालिक खतरा नहीं, लेकिन भविष्य में समुद्री वर्चस्व की नई दौड़ का संकेत जरूर देता है।भारत को अब अपनी नौसेना आधुनिकीकरण योजना तेज करनी होगी, ताकि हिंद महासागर में अपनी रणनीतिक बढ़त बनाए रख सके।
Jubilee Post | जुबिली पोस्ट News & Information Portal
