जुबिली स्पेशल डेस्क
बिहार विधानसभा चुनाव के बीच जनता दल (यूनाइटेड) ने शनिवार (18 अक्टूबर) को एक चौंकाने वाला कदम उठाते हुए अमौर विधानसभा सीट से साबिर अली को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है।
खास बात यह है कि यही साबिर अली वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करने के चलते जेडीयू से निष्कासित कर दिए गए थे।
अचानक बदला उम्मीदवार
जेडीयू ने यह घोषणा अचानक की है। दो दिन पहले तक इस सीट से सबा जफर को टिकट दिया गया था, जिन्होंने 2020 के चुनाव में दूसरा स्थान हासिल किया था। लेकिन अब पार्टी ने अंतिम समय में उन्हें बदलकर साबिर अली पर भरोसा जताया है। हालांकि पार्टी की ओर से उम्मीदवार बदलने का कारण स्पष्ट नहीं किया गया है।

Source : instagram/sabiraliindian
दोबारा जेडीयू में शामिल हुए साबिर अली
शनिवार को पूर्णिया में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान साबिर अली ने औपचारिक रूप से नीतीश कुमार की मौजूदगी में जेडीयू का दामन थामा। इस मौके पर मुख्यमंत्री की करीबी और मंत्री लेशी सिंह भी मौजूद थीं, जो धमदहा सीट से लगातार चौथी बार चुनाव मैदान में हैं।
उतार-चढ़ाव भरा रहा राजनीतिक सफर
साबिर अली ने अपना राजनीतिक करियर लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) से शुरू किया था, और इसी पार्टी से राज्यसभा पहुंचे थे। बाद में वे जेडीयू में आए, लेकिन 2014 में मोदी की सार्वजनिक प्रशंसा के बाद उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया था, क्योंकि उस वक्त जेडीयू और बीजेपी के रिश्ते टूट चुके थे।
निष्कासन के बाद उन्होंने बीजेपी का दामन थामा, मगर कुछ वरिष्ठ नेताओं ने उन पर विवादित आरोप लगाए, जिसके बाद उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया। बाद में वे 2015 में दोबारा बीजेपी में लौटे और 2021 में अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव बनाए गए थे।
अमौर सीट पर होगा दिलचस्प मुकाबला
इस बार साबिर अली को अमौर विधानसभा सीट से टिकट दिया गया है। उनका सीधा मुकाबला AIMIM के विधायक अख्तरुल इमान से होगा, जो इस वक्त बिहार में ओवैसी की पार्टी के इकलौते विधायक हैं।
नीतीश की रणनीतिक चाल
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि साबिर अली को टिकट देना नीतीश कुमार की एक रणनीतिक चाल है — एक ओर वे अल्पसंख्यक वोट बैंक को साधना चाहते हैं, तो दूसरी ओर पुराने नेताओं को दोबारा साथ लाकर संगठन को मजबूती देने का संकेत दे रहे हैं।