जुबिली न्यूज डेस्क
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के इस्तेमाल पर सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं। कोर्ट ने कहा है कि चुनाव प्रचार में AI आधारित कंटेंट, खासकर डीपफेक वीडियो या डिजिटली एडिटेड कंटेंट के इस्तेमाल के दौरान आदर्श आचार संहिता (MCC) का कड़ाई से पालन किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया है कि पार्टियों द्वारा प्रतिद्वंद्वी दलों या उम्मीदवारों को निशाना बनाने वाले AI जनरेटेड वीडियो या कंटेंट की कड़ी निगरानी की जाए और किसी भी तरह की गलत या भ्रामक जानकारी फैलाने पर तत्काल कार्रवाई की जाए।
6 अक्टूबर से लागू हुई आचार संहिता
बता दें कि 6 अक्तूबर, 2025 को बिहार विधानसभा के आम चुनाव और आठ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की घोषणा के साथ ही राज्य में आदर्श आचार संहिता (MCC) लागू हो चुकी है। इसके प्रावधान न सिर्फ जमीनी प्रचार पर बल्कि सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जारी सामग्रियों पर भी लागू होंगे।
क्या कहा गया है दिशा-निर्देशों में
सुप्रीम कोर्ट और निर्वाचन आयोग के निर्देशों के मुताबिक —
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राजनीतिक दल और उम्मीदवार केवल नीतियों, कार्यक्रमों और कार्यकाल की उपलब्धियों पर ही अन्य दलों की आलोचना करें।
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किसी भी नेता के निजी जीवन या असत्यापित आरोपों पर आधारित वीडियो या पोस्ट से बचें।
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सोशल मीडिया पर AI या डीपफेक कंटेंट डालने से पहले उस पर साफ तौर पर “AI जनित”, “डिजिटल रूप से संवर्धित” या “कृत्रिम सामग्री” जैसे लेबल लगाना अनिवार्य होगा।
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किसी भी तरह की तथ्यहीन या विकृत जानकारी (distortion) फैलाने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
चुनावी माहौल पर कड़ी नजर
चुनावी प्रक्रिया की सत्यनिष्ठा (integrity) को बनाए रखने के लिए आयोग ने सभी जिलों में सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सेल सक्रिय कर दिए हैं। इन टीमों को निर्देश दिया गया है कि किसी भी संदिग्ध या भ्रामक AI वीडियो पर तुरंत रिपोर्ट दर्ज की जाए।
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आयोग ने कहा कि चुनावों में डिजिटल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल पारदर्शिता के साथ होना चाहिए, ताकि मतदाताओं तक सही और सत्य जानकारी ही पहुंचे।