जुबिली स्पेशल डेस्क
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को लेकर इन दिनों अंतरराष्ट्रीय राजनीति में बयानबाजी तेज हो गई है। इसी बीच नाटो चीफ मार्क रूटे के एक बयान ने नया विवाद खड़ा कर दिया है। रूटे ने दावा किया था कि ट्रंप के टैरिफ दबाव में आकर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को फोन कर यूक्रेन युद्ध रोकने की संभावनाओं पर चर्चा की।
भारत ने इस दावे को पूरी तरह खारिज कर दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार को कहा कि यह बयान “पूरी तरह झूठा और निराधार” है। उन्होंने स्पष्ट किया कि मोदी और पुतिन के बीच ऐसी कोई बातचीत नहीं हुई है। जायसवाल ने कहा कि नाटो जैसे संगठन से उम्मीद की जाती है कि वह सार्वजनिक बयानों में अधिक जिम्मेदारी दिखाए, लेकिन इस तरह का गैर-जिम्मेदाराना बयान निराशाजनक है।
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विदेश मंत्रालय ने आगे कहा कि भारत हमेशा अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा को ध्यान में रखकर फैसले लेता है। ऊर्जा आयात को लेकर भारत की नीति भी इसी सिद्धांत पर आधारित है। प्रवक्ता ने कहा, “जैसा कि पहले भी स्पष्ट किया गया है, भारत का उद्देश्य अपने उपभोक्ताओं के लिए किफायती और अनुमानित ऊर्जा लागत सुनिश्चित करना है। इसी को ध्यान में रखकर सभी फैसले किए जाते हैं।”
भारत ने यह भी दोहराया कि वह किसी भी बाहरी दबाव में आकर निर्णय नहीं लेता। ऊर्जा आयात और व्यापार से जुड़े कदम पूरी तरह घरेलू आवश्यकताओं और आर्थिक हितों को देखते हुए उठाए जाते हैं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि नाटो चीफ का यह बयान न केवल भारत की छवि को प्रभावित करने वाला है बल्कि अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक मर्यादा के भी खिलाफ है। भारत का यह करारा जवाब संकेत देता है कि वह अपनी संप्रभुता और स्वतंत्र निर्णय क्षमता से जुड़ी किसी भी गलतबयानी को बर्दाश्त नहीं करेगा।
इस पूरे विवाद के केंद्र में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नाम भी जुड़ गया है। कहा जा रहा है कि ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार दिलाने के लिए यह दावे और कथित झूठ सामने लाए गए। हालांकि भारत ने साफ कर दिया है कि उसकी विदेश नीति किसी राजनीतिक दबाव या बाहरी लाभ पर आधारित नहीं, बल्कि राष्ट्रीय हितों और दीर्घकालिक रणनीतिक सोच पर आधारित है।
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