जुबिली न्यूज डेस्क
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 (Bihar Assembly Election 2025) से पहले राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) की पार्टी AIMIM ने हाल ही में राजद (RJD) को गठबंधन का प्रस्ताव भेजा था। इसके लिए पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक अख्तरुल ईमान समेत कई नेता ढोल बजाते हुए पटना में राबड़ी देवी आवास पर पहुंचे थे। लेकिन लालू यादव और तेजस्वी यादव से मुलाकात न हो पाने के बाद उन्हें लौटना पड़ा।
RJD ने क्यों किया इनकार?
RJD प्रवक्ता एजाज अहमद ने AIMIM पर करारा हमला बोला। उन्होंने कहा –
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“अगर किसी से समझौता करना हो तो ढोल बजाकर नहीं किया जाता। आपने अपनी पोल खोल दी है।”
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“AIMIM के पास संगठन नहीं है।”
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“मुस्लिम समाज आपके साथ नहीं, बल्कि लालू-तेजस्वी के साथ है।”
उन्होंने दावा किया कि चाहे जैसी भी परिस्थिति रही हो, RJD ने कभी भी बीजेपी (BJP) से समझौता नहीं किया। यही वजह है कि AIMIM को गठबंधन में शामिल करने का सवाल ही नहीं उठता।
JDU का भी आया बयान
जेडीयू प्रवक्ता अरविंद निषाद ने इस मुद्दे पर चुटकी लेते हुए कहा कि AIMIM, RJD से गठबंधन करके महागठबंधन में रहकर चुनाव लड़ना चाहती है। लेकिन लालू-तेजस्वी मुस्लिम (M) वोट बैंक पर किसी और का राजनीतिक हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने दावा किया कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए (NDA) की सरकार फिर से सत्ता में लौटेगी।
क्यों अहम है मुस्लिम वोट बैंक?
बिहार की राजनीति में मुस्लिम वोट अहम भूमिका निभाता है।
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प्रदेश में मुस्लिम आबादी लगभग 18% है।
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यह वोट बैंक लंबे समय से RJD का परंपरागत समर्थन आधार माना जाता है।
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2020 के चुनाव में AIMIM ने तीसरा मोर्चा बनाकर चुनाव लड़ा और 5 सीटें जीतीं। बाद में इनमें से 4 विधायक RJD में शामिल हो गए।
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अगर इस बार भी AIMIM अलग लड़ती है तो मुस्लिम वोटों का बंटवारा महागठबंधन को नुकसान और NDA को फायदा पहुंचा सकता है।