अशोक बॉम्बी
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस घोषणा से कि “प्रदेश में कम से कम चार क्रिकेट टीमें होनी चाहिए”- प्रदेश के क्रिकेट खिलाड़ी और प्रेमी बेहद उत्साहित हो गए। सभी को लगा कि अब ज्यादा से ज्यादा युवा खिलाड़ियों को राष्ट्रीय स्तर पर खेलने का अवसर मिलेगा।
लेकिन यह उम्मीद ठंडी पड़ती दिख रही है। वजह है बीसीसीआई के अध्यक्ष और यूपीसीए (उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ) के सर्वेसर्वा राजीव शुक्ला का हालिया बयान। प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने साफ कहा कि लोढ़ा कमीशन की सिफारिशों और सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार “एक राज्य से केवल एक ही टीम खेल सकती है।”
महाराष्ट्र-गुजरात का तर्क और यूपी की मांग
सवाल यह उठता है कि जब महाराष्ट्र और गुजरात से तीन-तीन टीमें खेल सकती हैं, तो उत्तर प्रदेश से चार क्यों नहीं? इसका जवाब दिया जाता है कि इन राज्यों की टीमों को यह अनुमति ब्रिटिश राज के दौरान दी गई थी। लेकिन क्या अब इस नियम को बदला नहीं जा सकता?
प्रैक्टिकली, महाराष्ट्र और गुजरात से केवल एक-एक टीम खिलाना संभव नहीं है। अगर ऐसा हुआ तो बीसीसीआई में हाहाकार मच जाएगा। इसलिए, जैसे इन राज्यों से तीन टीमें खेल रही हैं, वैसे ही जनसंख्या और खिलाड़ियों की संख्या के आधार पर यूपी से भी चार टीमें खिलाई जानी चाहिए। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया जा सकता है।
राजनीति और खेल संघों पर सवाल
लोढ़ा कमीशन ने सिफारिश की थी कि सरकारी कर्मचारी और राजनीतिज्ञ खेल संघों से दूर रहें, लेकिन हकीकत उलट है। नेताओं ने अपने प्रभाव से खेल संघों में अपनी मौजूदगी कायम रखी। जब सिफारिशें बदली गईं, तब किसी ने विरोध नहीं किया। अब जब वही सिफारिशें लागू कराई जा रही हैं, तो सवाल उठता है कि चयन मानकों में दोहरापन क्यों?
चार टीमों से खिलाड़ियों को मिलेगा बड़ा मौका
मानना होगा कि यूपी से चार टीमें बनाने पर कुछ चुनौतियां आएंगी। लेकिन असल मुद्दा यह है कि इससे प्रदेश के हजारों खिलाड़ियों को बोर्ड ट्रॉफी जैसे बड़े टूर्नामेंट खेलने का मौका मिलेगा। वर्तमान यूपीसीए शायद ऐसा नहीं चाहेगा, क्योंकि इससे उनकी पावर बंट जाएगी। कई पदाधिकारी उम्रदराज होने के बावजूद कुर्सी से चिपके हुए हैं – यह भी लोढ़ा कमीशन की गाइडलाइंस का उल्लंघन है।
अब गेंद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पाले में है। देखना यह होगा कि वे बीसीसीआई के समक्ष यह मुद्दा कितनी मजबूती से उठाते हैं। अगर मुख्यमंत्री चाहेंगे, तो उत्तर प्रदेश से चार टीमें बनकर रहेंगी।
(लेखक उत्तर प्रदेश क्रिकेट टीम के वरिष्ठ खिलाड़ी रहे हैं तथा कोच, चयन समिति के सदस्य के साथ-साथ भारतीय टीम के मैनेजर के रूप में भी अपनी सेवाएँ दे चुके हैं)