जुबिली न्यूज डेस्क
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। इस बीच दो बड़ी क्षेत्रीय पार्टियों भारत राष्ट्र समिति (BRS) और बीजू जनता दल (BJD) ने साफ कर दिया है कि वे चुनाव में मतदान से दूरी बनाए रखेंगे। दोनों पार्टियों का कहना है कि वे न तो NDA और न ही INDIA गठबंधन के साथ खड़ी होंगी।
किसानों की समस्या का मुद्दा उठाया BRS ने
बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष के. टी. रामा राव (KTR) ने सोमवार को कहा कि पार्टी राज्य के किसानों की पीड़ा को उजागर करने के लिए मतदान में हिस्सा नहीं लेगी।
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उनका आरोप है कि तेलंगाना में यूरिया की भारी कमी है और किसान घंटों लंबी कतारों में खड़े रहने को मजबूर हैं।
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KTR ने कहा कि यूरिया की कमी के कारण किसानों के बीच झड़पें तक हो रही हैं।
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उन्होंने कांग्रेस और भाजपा दोनों पर किसानों की समस्या को हल न करने का आरोप लगाया।
KTR ने कहा – “हम मतदान से दूर रहेंगे। अगर नोटा का विकल्प उपलब्ध होता तो हम उसका इस्तेमाल करते।”
BJD ने भी बनाई दूरी
इधर ओडिशा की प्रमुख विपक्षी पार्टी बीजू जनता दल (BJD) ने भी उपराष्ट्रपति चुनाव से दूरी बनाने का एलान किया है।
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पार्टी सांसद सस्मित पात्रा ने कहा कि यह फैसला अध्यक्ष नवीन पटनायक ने वरिष्ठ नेताओं और सांसदों से परामर्श के बाद लिया।
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पात्रा ने कहा कि BJD न तो NDA और न ही INDIA गठबंधन के करीब है, बल्कि उसने हमेशा दोनों से समान दूरी बनाए रखी है।
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उन्होंने कहा, “हमारा पूरा ध्यान ओडिशा और उसके 4.5 करोड़ लोगों के विकास पर है।”
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राजनीतिक मायने
BRS और BJD का मतदान से दूर रहना इस बात का संकेत है कि क्षेत्रीय पार्टियां राष्ट्रीय राजनीति में अपनी स्वतंत्र पहचान और रणनीति बनाए रखना चाहती हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इन दलों का रुख भविष्य की राष्ट्रीय राजनीति में समीकरणों को प्रभावित कर सकता है।