जुबिली स्पेशल डेस्क
बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज है। राजनीतिक दल अपने-अपने एजेंडे से मतदाताओं को साधने में जुटे हैं। इसी बीच जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने एक नया फॉर्मूला पेश किया है।
मुस्लिम सम्मेलन में दी सलाह
किशनगंज में मुस्लिम सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने मुसलमानों से कहा कि वे उन हिंदुओं के साथ हाथ मिलाएं जो गांधी, बाबा साहेब आंबेडकर, समाजवाद और साम्यवाद की विचारधारा को मानते हैं।
उनका कहना था कि देश में 80% हिंदू हैं, लेकिन बीजेपी को सिर्फ 40% वोट मिलते हैं। यानी आधे हिंदू बीजेपी को वोट नहीं देते। यदि ये लोग 20% मुसलमानों के साथ मिल जाएं, तो एक लंबी सियासी लड़ाई लड़ी जा सकती है।
महागठबंधन पर निशाना
प्रशांत किशोर ने महागठबंधन पर इशारों-इशारों में हमला करते हुए कहा कि नीतीश-लालू के 30 साल के शासन में मुसलमानों का कोई विकास नहीं हुआ। आबादी के हिसाब से विधानसभा में 40 मुस्लिम विधायक होने चाहिए थे, लेकिन वर्तमान में सिर्फ 19 हैं। उन्होंने कहा कि मुसलमानों को चुनाव लड़ने से रोकने के लिए डर का माहौल बनाया गया है और उन्हें सिर्फ वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया गया।
नया राजनीतिक संदेश
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि प्रशांत किशोर का यह बयान महागठबंधन को सीधे चुनौती है। वे मुस्लिम वोटरों को समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि उन्हें आरजेडी या कांग्रेस से हटकर नई राजनीतिक दिशा अपनानी चाहिए। जन सुराज का इरादा 40 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट देने का है।
बिहार की मुस्लिम राजनीति
2023 की जाति-जनगणना के अनुसार, बिहार की 13 करोड़ आबादी में मुसलमानों की संख्या 2.3 करोड़ (17.7%) है। वे 243 में से 87 विधानसभा सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले जिले किशनगंज (68%), कटिहार (44%), अररिया (43%) और पूर्णिया (38%) हैं। इन चार जिलों की 24 सीटों पर मुस्लिम मतदाता खास असर रखते हैं।
पिछले चुनाव में आरजेडी ने 18 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से 8 जीते। कांग्रेस ने 12 में से 4 सीटें जीतीं। जेडीयू 10 उम्मीदवारों के बावजूद खाता नहीं खोल सकी। ओवैसी की पार्टी ने 5 सीटें जीती थीं, लेकिन बाद में सभी विधायक आरजेडी में शामिल हो गए।
धार्मिक और जातीय तस्वीर
- हिंदू: 81.9% (10.71 करोड़)
- मुस्लिम: 17.7% (2.31 करोड़)
- अन्य धर्म: 0.3% से भी कम
- जातियों में यादव (14%)
- ब्राह्मण (3.66%)
- राजपूत (3.45%)
- मुसहर (3%)
- कुर्मी (2.87%)
- भूमिहार (2.86%) शामिल हैं।