जुबिली न्यूज डेस्क
नई दिल्ली,– आम आदमी पार्टी (AAP) ने दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पर आरोप लगाया है कि उनकी आधिकारिक बैठकों में उनके पति भी मौजूद रहते हैं। पार्टी ने सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरें साझा करते हुए कहा कि दिल्ली सरकार अब “फुलेरा पंचायत” बन गई है, जहां हर काम में पति शामिल होते हैं। इस दावे के बाद बड़ा सवाल उठता है कि क्या किसी भी मुख्यमंत्री के रिश्तेदार आधिकारिक बैठकों में शामिल हो सकते हैं?
क्यों अहम होती हैं सीएम की बैठकें?
मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में होने वाली बैठकें बेहद महत्वपूर्ण होती हैं।
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इनमें नीतियां तय होती हैं।
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बजट और विकास योजनाओं पर चर्चा होती है।
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प्रशासनिक और राजनीतिक स्तर के बड़े फैसले यहीं लिए जाते हैं।
यही कारण है कि इन बैठकों में पारदर्शिता और गोपनीयता का सख्ती से पालन होता है।
आधिकारिक बैठक में कौन हो सकता है शामिल?
सरकार की गाइडलाइन के अनुसार:
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केवल संबंधित विभाग के मंत्री, अधिकारी और विशेषज्ञ ही बैठक का हिस्सा हो सकते हैं।
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रिश्तेदार या निजी परिचित को इसमें जगह नहीं मिलती।
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अगर कोई रिश्तेदार किसी आधिकारिक पद (जैसे विधायक, मंत्री या अधिकारी) पर हैं, तो वह अपनी हैसियत से बैठक में मौजूद हो सकते हैं।
कैबिनेट मीटिंग के सख्त नियम
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कैबिनेट मीटिंग सबसे गोपनीय मानी जाती है।
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इसमें केवल मुख्यमंत्री और मंत्री परिषद के सदस्य शामिल होते हैं।
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किसी बाहरी व्यक्ति या रिश्तेदार की मौजूदगी पर पूरी तरह रोक है।
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यह नियम कैबिनेट सेक्रेटेरिएट मैनुअल और बिजनेस रूल्स में स्पष्ट है।
प्रशासनिक समीक्षा बैठकें
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जिलों के दौरे और विभागीय समीक्षा बैठकों में भी केवल संबंधित अधिकारी और तकनीकी विशेषज्ञ बुलाए जाते हैं।
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रिश्तेदार तभी शामिल हो सकते हैं, जब वे किसी आधिकारिक जिम्मेदारी पर हों।
निजी मुलाकातें अलग
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मुख्यमंत्री अगर चाहें तो रिश्तेदारों से निजी तौर पर मुलाकात कर सकते हैं।
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लेकिन ऐसी मीटिंग्स को सरकारी बैठक का दर्जा नहीं दिया जाता।
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आधिकारिक बैठक में रिश्तेदार की मौजूदगी हितों के टकराव और पारदर्शिता पर सवाल उठाती है।