जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजनीति इन दिनों नए विवादों से गरमाई हुई है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव जहां लगातार योगी सरकार पर निशाना साध रहे हैं, वहीं उनके चाचा शिवपाल यादव के एक पुराने खुलासे ने हलचल और बढ़ा दी है।
भारत समाचार को दिए इंटरव्यू में शिवपाल यादव ने बताया कि साल 2012 में वे सीधे तौर पर बीजेपी नेता अमित शाह के संपर्क में थे। शाह ने उन्हें दिल्ली बुलाकर मंत्री पद की पेशकश भी की थी, लेकिन शिवपाल ने प्रस्ताव ठुकरा दिया। उनका कहना है कि “मैं पहले से मंत्री रह चुका था, इसलिए यह ऑफर मंजूर नहीं किया।”
इस खुलासे ने राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं को तेज कर दिया है—क्योंकि सवाल उठ रहा है कि अगर शिवपाल उस वक्त बीजेपी से जुड़ जाते तो यूपी की तस्वीर आज बिल्कुल अलग होती।
सैफई में मुख्यमंत्री का चुनाव
2012 में सपा को ऐतिहासिक बहुमत (224 सीटें) मिला। इसके बाद सैफई में मुलायम सिंह, शिवपाल, रामगोपाल और अखिलेश यादव के बीच मुख्यमंत्री को लेकर लंबी चर्चा हुई। शिवपाल चाहते थे कि पहले एक साल मुलायम सिंह सीएम रहें और उसके बाद अखिलेश को मौका मिले। लेकिन दबाव बढ़ा और अंततः मुलायम ने अखिलेश यादव के नाम पर सहमति दी।
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महज़ 38 साल की उम्र में अखिलेश उत्तर प्रदेश के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने। यह फैसला सपा के लिए टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ, लेकिन यहीं से परिवार के भीतर दरार की शुरुआत भी हुई।
चाचा-भतीजे की दूरी और मेल-मिलाप
सीएम बनने के बाद कई फैसलों को लेकर अखिलेश और शिवपाल के रिश्तों में खटास आई। शिवपाल ने 2018 में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) बनाई, हालांकि दिसंबर 2022 में उन्होंने अपनी पार्टी का सपा में विलय कर दिया। इसके बाद चाचा-भतीजे की दूरियां कुछ कम होती दिखीं।
मौजूदा सियासत में नया रंग
जब अखिलेश यादव आजकल “टोंटी चोरी” जैसे मुद्दों पर योगी सरकार को घेर रहे हैं, ऐसे समय में शिवपाल का यह पुराना खुलासा एक बार फिर यूपी की सियासत में नया पेंच डाल रहा है।