जुबिली स्पेशल डेस्क
आज (7 सितंबर) साल का आखिरी चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। खास बात यह है कि आज से ही पितृ पक्ष की भी शुरुआत हो रही है, जो 21 सितंबर को सूर्य ग्रहण के दिन समाप्त होगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, लगभग 122 साल बाद पितृ पक्ष का आरंभ चंद्र ग्रहण के साथ हो रहा है। हालांकि, 21 सितंबर को लगने वाला सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा।
चंद्र ग्रहण कब लगेगा?
ज्योतिषाचार्य वेदप्रकाश मिश्रा के अनुसार, यह चंद्र ग्रहण 7 सितंबर की रात 9:58 बजे शुरू होकर 8 सितंबर तड़के 1:26 बजे तक चलेगा। यह भारत में भी दिखाई देगा। इसलिए इस दिन का सूतक काल मान्य होगा।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, सूतक ग्रहण लगने से 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है। इस आधार पर आज दोपहर 12:57 बजे से सूतक आरंभ हो जाएगा। इस अवधि में किसी भी शुभ कार्य, पूजा-पाठ, खरीदारी या मंदिर दर्शन वर्जित माने गए हैं।
ज्योतिषाचार्यों की मानें तो दोपहर 12:59 बजे से पहले ही श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान और पवित्र नदियों में स्नान जैसे धार्मिक कार्य पूरे कर लेने चाहिए।

ग्रहण काल में क्या न करें?
- इस दौरान खाना-पीना और सोना वर्जित है।
- गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
- चाकू या नुकीले उपकरणों का उपयोग नहीं करना चाहिए।
- धार्मिक ग्रंथों का पठन-पाठन वर्जित है।
- खाने-पीने की चीजों में तुलसी पत्ता डालकर सुरक्षित रखना चाहिए।
राशियों पर प्रभाव
इस चंद्र ग्रहण का असर मिथुन, कर्क, सिंह, तुला, वृश्चिक, मकर और मीन राशि पर प्रतिकूल रहेगा। इन जातकों को मंत्र-जाप और सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। वहीं, मेष, वृषभ, कन्या और धनु राशि वालों के लिए यह ग्रहण लाभकारी सिद्ध हो सकता है।
ग्रहण काल में क्या करें?
बीएचयू के ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विनय पांडेय के अनुसार, यह खग्रास चंद्र ग्रहण पूरे भारत में दिखाई देगा और करीब साढ़े तीन घंटे तक चलेगा।
- इस दौरान किया गया जप लाख गुना फलदायी माना जाता है।
- ग्रहण के स्पर्श, मध्य और मोक्ष काल में स्नान करना शुभ होता है।
- सूतक काल में भोजन वर्जित है।
- गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के समय कमरे से बाहर निकलने से बचना चाहिए।
पितृ पक्ष का महत्व
हिंदू धर्म में पितृ पक्ष को अत्यंत पवित्र समय माना गया है। इस अवधि में पूर्वजों को तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध विधि से स्मरण कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। मान्यता है कि इससे घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
वैदिक पंचांग के अनुसार, पितृ पक्ष भाद्रपद पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन अमावस्या तक चलता है। इस दौरान तर्पण, हवन और ब्राह्मण भोज जैसे कार्य करना अत्यंत शुभ माना गया है।