दरअसल, जनवरी 2023 में एक इंटरव्यू के दौरान मौर्य ने कहा था कि “रामचरितमानस को करोड़ों हिंदू नहीं पढ़ते। यह सब बकवास है। तुलसीदास ने इसे अपनी प्रसन्नता के लिए लिखा है।” इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी कहा था कि इस धर्मग्रंथ से आपत्तिजनक अंश हटाए जाने चाहिए या फिर इसे बैन कर देना चाहिए। उनके इस बयान के बाद सियासी हलकों में काफी विवाद खड़ा हुआ था।
जुबिली स्पेशल डेस्क
उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री और समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य एक बार फिर कानूनी पचड़े में फंस गए हैं। वाराणसी के कैंट थाने में उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। मामला उनके विवादित बयानों से जुड़ा है, जो उन्होंने श्रीरामचरितमानस और तुलसीदास को लेकर दिए थे।
रामचरितमानस पर टिप्पणी पड़ी भारी
दरअसल, जनवरी 2023 में एक इंटरव्यू के दौरान मौर्य ने तुलसीदास रचित रामचरितमानस पर विवादित टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि “रामचरितमानस को करोड़ों हिंदू नहीं पढ़ते। यह सब बकवास है। तुलसीदास ने इसे अपनी प्रसन्नता के लिए लिखा है।” इतना ही नहीं, उन्होंने इस धर्मग्रंथ से आपत्तिजनक अंश हटाने या इसे बैन करने तक की मांग की थी।
बीजेपी नेता अशोक कुमार ने इस बयान के खिलाफ 24 जनवरी 2023 को वाराणसी के एमपी-एमएलए कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल किया था। हालांकि, अदालत ने 17 अक्टूबर को यह याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद उन्होंने रिवीजन दायर किया।
कोर्ट के आदेश पर FIR
रिवीजन पर सुनवाई के बाद अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें और साक्ष्य देखने के बाद पुलिस को एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया। इसके आधार पर 2 सितंबर को वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट के कैंट थाने में स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया।
स्वामी प्रसाद मौर्य पहले भी कई बार अपने बयानों को लेकर विवादों में रह चुके हैं और कानूनी कार्यवाही का सामना कर चुके हैं।
स्वामी प्रसाद मौर्य पहले भी अपने बयानों को लेकर विवादों में घिरते रहे हैं। उनकी यह टिप्पणी एक बार फिर उन्हें कानूनी संकट में ले आई है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में इस केस के चलते उनकी राजनीतिक मुश्किलें और गहरा सकती हैं।