जुबिली न्यूज डेस्क
नई दिल्ली: आज सोमवार, को सुप्रीम कोर्ट में E20 फ्यूल (20% इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल) को लेकर सुनवाई होगी। यह मामला तब उठा जब देश में E20 पेट्रोल लागू होने के बाद विवाद बढ़ गया। कई वाहन मालिकों का दावा है कि इस फ्यूल से उनकी गाड़ियों का माइलेज घट गया और मेंटेनेंस कॉस्ट बढ़ गई।
E20 फ्यूल क्या है?
E20 फ्यूल का मतलब है 20% इथेनॉल + 80% पेट्रोल। भारत सरकार ने इसे अप्रैल 2023 से लागू करना शुरू किया था। इसके पीछे तीन बड़ी वजहें थीं:
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तेल आयात में कमी लाना
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कार्बन उत्सर्जन घटाना
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किसानों को फायदा पहुँचाना, क्योंकि इथेनॉल गन्ने से बनता है।
इथेनॉल का फॉर्मूला: C₂H₅OH (शुगर के फर्मेंटेशन से तैयार होता है)।
क्यों हो रहा विवाद?
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पुरानी गाड़ियों पर असर: E20 केवल 2023 के बाद बनी गाड़ियों के लिए सही माना जाता है। पुरानी गाड़ियों में इंजन जंग लगना, रबर पाइप खराब होना, माइलेज कम होना जैसी दिक्कतें सामने आई हैं।
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माइलेज की समस्या: कई वाहन मालिकों ने बताया कि माइलेज में 10% तक कमी आई है।
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खर्च कम नहीं हुआ: इथेनॉल सस्ता होने के बावजूद E20 पेट्रोल की कीमत पेट्रोल जैसी ही है, इसलिए उपभोक्ता को फायदा नहीं मिल रहा।
वाहन निर्माताओं की राय क्या है?
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SIAM (सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स) का कहना है कि E20 से सुरक्षा का खतरा नहीं है, लेकिन माइलेज में 2-4% कमी वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित है।
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मारुति सुजुकी के सीवी रमन के अनुसार, वास्तविक ड्राइविंग कंडीशंस में माइलेज और भी गिर सकता है।
E20 फ्यूल के फायदे और नुकसान
फायदे:
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कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन कम करता है।
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तेल आयात पर निर्भरता घटती है।
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गन्ना किसानों को फायदा।
नुकसान:
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पुरानी गाड़ियों में इंजन की समस्या।
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माइलेज कम होना।
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गन्ने की खेती से पानी की कमी बढ़ने का खतरा।
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इथेनॉल स्टोरेज के लिए अतिरिक्त इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत।
सुप्रीम कोर्ट में क्या मांग की गई है?
याचिका में मांग है कि हर पेट्रोल पंप पर E0 (बिना इथेनॉल वाला पेट्रोल) का विकल्प उपलब्ध कराया जाए।
भारत में इथेनॉल उत्पादन
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E20 लागू करने के लिए भारत को हर साल 1,000 करोड़ लीटर इथेनॉल की जरूरत होगी।
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2025 तक भारत की क्षमता 1,810 करोड़ लीटर तक पहुंचाने का लक्ष्य है।
E20 का पर्यावरणीय असर
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कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन घटता है।
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लेकिन एल्डिहाइड जैसे हानिकारक उत्सर्जन बढ़ते हैं।
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गन्ने की खेती से जल संकट बढ़ने का खतरा।