जुबिली न्यूज डेस्क
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने अपनी 100वीं वर्षगांठ के अवसर पर “100 वर्ष की संघ यात्रा: नए क्षितिज” शीर्षक से एक तीन दिवसीय संवाद कार्यक्रम की शुरुआत की। यह आयोजन 26 से 28 अगस्त तक दिल्ली के विज्ञान भवन में चल रहा है। कार्यक्रम के पहले दिन संघ प्रमुख मोहन भागवत ने विस्तार से ‘हिंदू राष्ट्र’ की अवधारणा, भारतीय संस्कृति, और समावेशिता पर अपने विचार रखे।
“हिंदू राष्ट्र का मतलब किसी को छोड़ना नहीं” – मोहन भागवत
संघ प्रमुख ने कहा कि जब हम “हिंदू राष्ट्र” की बात करते हैं, तो कई सवाल उठते हैं क्योंकि हम ‘राष्ट्र’ को अंग्रेज़ी में ‘नेशन’ से जोड़ देते हैं, जबकि यह पश्चिमी अवधारणा है। उन्होंने स्पष्ट किया:“हिंदू राष्ट्र का सत्ता से कोई लेना-देना नहीं है। जब हम हिंदू राष्ट्र कहते हैं, तो उसका अर्थ यह नहीं कि हम किसी का विरोध कर रहे हैं या किसी को बाहर कर रहे हैं। संघ की प्रक्रिया विरोध या प्रतिक्रिया से प्रेरित नहीं है।”
‘राष्ट्र’ बनाम ‘नेशन’: भारतीय दृष्टिकोण
भागवत ने कहा कि भारत में ‘राष्ट्र’ हमेशा से रहा है, चाहे सत्ता किसके भी हाथ में रही हो — तुर्क, अरब, या अंग्रेज़। उन्होंने कहा:“सत्ता बदलती रही, पर राष्ट्र बना रहा। एक राजा नहीं था, अनेक राजा थे, पर राष्ट्र एक था।”
40 हजार साल से भारत का डीएनए एक – भागवत
भागवत ने यह भी कहा कि भारत की विविधता के बावजूद यहां का डीएनए 40,000 वर्षों से एक है। उन्होंने इसे भारतीय समाज की सांस्कृतिक एकता और पूर्वजों की परंपरा से जोड़ा।“भारत माता और पूर्वजों की परंपरा को मानने वाला ही सच्चा हिंदू है, चाहे वह खुद को सनातनी कहे, भारतीय कहे या कुछ और।”
‘हिंदू’ का मतलब – समावेश, सहिष्णुता और संस्कृति का सम्मान
संघ प्रमुख ने ‘हिंदू’ शब्द का भावार्थ समझाते हुए कहा:“हिंदू वह है जो दूसरों की श्रद्धा का सम्मान करे, अपमान न करे, सबको साथ लेकर चले। यह केवल धर्म नहीं, बल्कि राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी का भाव है।”
संघ का लक्ष्य: सम्पूर्ण हिंदू समाज का संगठन
भागवत ने कहा कि संघ का उद्देश्य केवल किसी पहचान का प्रचार नहीं, बल्कि हिंदू समाज को संगठित करना है — जिसमें हर परंपरा, पंथ और समुदाय शामिल हो।“हिंदू कहना मतलब हिंदू वर्सेस ऑल नहीं है। हिंदू मतलब सबको जोड़ने वाला, सबको अपनाने वाला।”
कार्यक्रम का उद्देश्य और संदर्भ
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यह संवाद कार्यक्रम संघ की 100 वर्षों की यात्रा और भविष्य की दिशा को लेकर आयोजित किया गया है।
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इसमें संघ विचारधारा, राष्ट्र निर्माण और सांस्कृतिक मूल्यों पर चर्चा हो रही है।
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इसमें समाज के विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधि, विचारक और शिक्षाविद भाग ले रहे हैं।
सोशल मीडिया पर भी चर्चा
मोहन भागवत के भाषण का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें उनके “Hindu Rashtra is not about state power” जैसे बयान पर विचार और बहस शुरू हो चुकी है।