जुबिली न्यूज डेस्क
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने लोकनीति-CSDS के निदेशक और वरिष्ठ चुनाव विश्लेषक संजय कुमार को अंतरिम राहत देते हुए उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर पर कार्यवाही पर रोक लगा दी है। यह फैसला महाराष्ट्र के नागपुर और नासिक में दर्ज दो मामलों को लेकर लिया गया है, जिसमें उन पर गलत आंकड़े ट्वीट करने और चुनाव प्रक्रिया को भ्रमित करने का आरोप लगाया गया था।
कोर्ट की टिप्पणी और अगला कदम
जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने महाराष्ट्र सरकार और शिकायतकर्ताओं को नोटिस जारी करते हुए कहा कि जब याचिकाकर्ता ने स्पष्ट रूप से माफी मांग ली है, तो तुरंत गिरफ्तारी या दंडात्मक कार्रवाई उचित नहीं होगी। कोर्ट ने फिलहाल मामलों में कोई दंडात्मक कार्यवाही न करने का आदेश दिया है।
किन धाराओं में दर्ज हुई FIR?
नागपुर के रामटेक पुलिस स्टेशन में दर्ज FIR में संजय कुमार पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की निम्नलिखित धाराएं लगाई गई हैं:
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धारा 175 – सरकारी कार्य में बाधा
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धारा 353(1)(B) – लोक सेवक को उसके कर्तव्य से रोकना
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धारा 212 – अपराधी की मदद करना
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धारा 340(1)(2) – झूठा साक्ष्य देना
वहीं, नासिक के सरकारवाड़ा पुलिस स्टेशन में दूसरी FIR मतदाताओं की गिनती में धांधली का झूठा आरोप लगाने के संबंध में दर्ज की गई है।
क्या था ट्वीट में दावा?
संजय कुमार ने 2024 लोकसभा चुनाव के बाद एक ट्वीट में कहा था कि:
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रामटेक विधानसभा क्षेत्र में 38.45% मतदाताओं की संख्या में गिरावट आई है।
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देवलाली क्षेत्र में यह कमी 36.82% बताई गई थी।
बाद में जब इन आंकड़ों पर विवाद हुआ तो उन्होंने ट्वीट डिलीट कर दिए और सार्वजनिक रूप से कहा कि यह डेटा की पढ़ाई में गलती थी, जानबूझकर गलत सूचना फैलाने का कोई इरादा नहीं था।
संजय कुमार ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में संजय कुमार ने कहा:”मैं पिछले 30 वर्षों से चुनाव विश्लेषण से जुड़ा हूं। मेरी अब तक की छवि बेदाग रही है। यह गलती मेरी टीम से हुई, जिसे मैंने तुरंत स्वीकार किया और माफी भी मांगी।”उन्होंने आगे कहा कि इस तरह की ईमानदार गलती को आपराधिक मामला बनाना उचित नहीं है।
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मामला क्यों है महत्वपूर्ण?
संजय कुमार देश के प्रमुख चुनाव विश्लेषकों में से एक हैं, और लोकनीति-CSDS जैसी संस्था के प्रमुख पद पर हैं। इस मामले को लेकर चुनाव विश्लेषण की स्वतंत्रता और जानकारी की पारदर्शिता जैसे मुद्दों पर भी बहस छिड़ी है।