जुबिली न्यूज डेस्क
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के बाजौर जिले में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के खिलाफ सेना ने बड़े पैमाने पर ऑपरेशन सरबाकफ शुरू किया है। यह कार्रवाई लोई मामुंड और वार मामुंड तहसीलों में केंद्रित है, जिन्हें लंबे समय से TTP का गढ़ माना जाता है।
27 इलाकों में कर्फ्यू, 4 लाख लोग घरों में कैद
हाल ही में तालिबान कमांडरों के साथ शांति वार्ता असफल होने के बाद 27 इलाकों में 12 से 72 घंटे का कर्फ्यू लगाया गया। नतीजतन, 55 हजार से ज्यादा लोग विस्थापित हो चुके हैं, जबकि 4 लाख से अधिक लोग अपने घरों में फंसे हैं।
मानवीय संकट और टॉर्चर के आरोप
कर्फ्यू और लगातार हो रही फायरिंग से इलाके में मानवीय संकट गहरा गया है। अवामी नेशनल पार्टी के विधायक निसार बाज ने विधानसभा में आरोप लगाया कि सेना अपने ही नागरिकों को टॉर्चर कर रही है। कई परिवारों को टेंटों और खुले मैदानों में रात गुजारनी पड़ रही है। भोजन-पानी की किल्लत और यातायात की कमी ने हालात और बिगाड़ दिए हैं।
सरकार का दावा – राहत कैंप बनाए
सरकारी अधिकारियों ने दावा किया है कि प्रभावित लोगों को राहत शिविरों में पहुंचाया जा रहा है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के सलाहकार मुबारक ख़ान जैब ने कहा कि स्कूलों को अस्थायी शरणस्थल बनाया गया है। जिला प्रशासन के मुताबिक खार तहसील में 107 शैक्षणिक संस्थानों को राहत कैंप घोषित किया गया है। हालांकि, जमीनी हकीकत यह है कि राहत सामग्री और आश्रय के इंतजाम बेहद अपर्याप्त हैं।
बातचीत विफल होने के बाद फिर तेज हुई कार्रवाई
सेना का यह अभियान 29 जुलाई को शुरू हुआ था, लेकिन जनजातीय जिरगा की मध्यस्थता के बाद इसे अस्थायी रूप से रोक दिया गया। कई दौर की वार्ता के बावजूद 2 अगस्त को बातचीत विफल हो गई, जिसके बाद फुल-स्केल ऑपरेशन शुरू कर दिया गया।
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TTP और बाजौर का पुराना रिश्ता
बाजौर जिला लंबे समय से TTP का गढ़ माना जाता है। पाकिस्तान सेना पहले भी यहां कई बड़े ऑपरेशन कर चुकी है, जिनमें हजारों लोग विस्थापित हुए थे। इस बार भी सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ की खबरें मिल रही हैं। हालांकि, नागरिकों पर टॉर्चर और मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों ने सरकार और सेना की कार्रवाई पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।