जुबिली स्पेशल डेस्क
पटना: बिहार में मतदाता सूची से 65 लाख से अधिक नामों के हटाए जाने पर राजनीतिक हलकों में उबाल है। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग पर बड़ा सवाल उठाते हुए ड्राफ्ट वोटर लिस्ट की पारदर्शिता पर गंभीर शंका जताई है।
उन्होंने मतदाता सूची की समीक्षा और आपत्तियों की समयसीमा को बढ़ाने की मांग करते हुए कहा कि यदि नाम कटने का यह आंकड़ा सही है, तो यह लोकतंत्र के अधिकारों पर सीधा हमला है।
65 लाख वोटरों का नाम क्यों हटा? तेजस्वी के सवाल
तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए चुनाव आयोग से बिंदुवार जवाब मांगा है और कहा है कि 65 लाख मतदाताओं को मृत, स्थानांतरित या अनुपस्थित बताना बेहद गंभीर मामला है। उन्होंने आयोग से ये अहम सवाल पूछे:
- इन 65 लाख मतदाताओं को मृत या शिफ्टेड घोषित करने का आधार क्या है?
- क्या इन 36 लाख स्थानांतरित मतदाताओं की कोई फिजिकल वेरिफिकेशन हुई थी?
- क्या बीएलओ ने नियमानुसार तीन बार फील्ड विजिट किया?
- क्या बीएलओ ने वेरिफिकेशन के बाद Acknowledgement स्लिप दी?
- क्या मतदाताओं को नाम कटने से पहले सूचना दी गई थी?
- कितनों को अपील का मौका मिला?
- कितने फॉर्म बिना दस्तावेजों और बिना फोटो के स्वीकार किए गए?
तेजस्वी ने रखीं 4 अहम मांगें
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जिन मतदाताओं का नाम हटाया गया है, उनकी बूथवार सूची सार्वजनिक की जाए।
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मृतक, शिफ्टेड, डुप्लीकेट और गायब मतदाताओं का विवरण कारण सहित प्रकाशित किया जाए।
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ड्राफ्ट मतदाता सूची पर आपत्ति दर्ज करने की अंतिम तारीख को बढ़ाया जाए।
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सुप्रीम कोर्ट स्वत: संज्ञान लेकर इस मामले में चुनाव आयोग से जवाब मांगे।
‘एसआईआर 2025 बन रहा संविधान विरोधी प्रयोग’
तेजस्वी यादव ने एसआईआर (Shuddh Matdata Abhiyan) 2025 को लोकतंत्र के विरुद्ध बताया। उन्होंने कहा कि यदि इस प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं है और मतदाताओं के अधिकारों को बिना सूचना के छीन लिया गया है, तो यह न सिर्फ संविधान के खिलाफ है बल्कि जनता के मताधिकार का भी हनन है।
चुनाव आयोग का जवाब: आपत्तियों की प्रक्रिया चालू
चुनाव आयोग के सूत्रों ने बयान जारी कर कहा है कि 1 अगस्त से 1 सितंबर तक दावे और आपत्तियां दर्ज कराई जा सकती हैं। आरजेडी के पास 47,506 बीएलए (Booth Level Agents) हैं जो यदि किसी नाम की गलती पाते हैं, तो प्रक्रिया के तहत शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
ईसी के मुताबिक, पिछले 24 घंटे में किसी भी राजनीतिक दल ने बीएलओ के सामने कोई आपत्ति नहीं रखी। आयोग ने कहा कि सभी पार्टियों को प्रारूप सूची पहले ही सौंप दी गई थी और वे इसकी समीक्षा के लिए सहमत भी हुए थे।