जुबिली स्पेशल डेस्क
मालेगांव बम विस्फोट केस में 17 साल बाद आज (गुरुवार) फैसला आने वाला है। यह मामला 29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में एक मस्जिद के पास मोटरसाइकिल में लगे विस्फोटक से हुआ धमाका है, जिसमें 6 लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक घायल हुए थे।
इस संवेदनशील मामले की सुनवाई एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) की विशेष अदालत में चल रही थी, जिसने 19 अप्रैल 2025 को फैसला सुरक्षित रख लिया था। आज कोर्ट का फैसला सामने आएगा।
कौन-कौन हैं आरोपी?
- इस मामले में कुल 7 आरोपी अब भी मुकदमे का सामना कर रहे हैं
- साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर (भाजपा सांसद)
- लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित
- मेजर (सेवानिवृत्त) रमेश उपाध्याय
- अजय राहिरकर
- सुधाकर द्विवेदी
- सुधाकर चतुर्वेदी
- समीर कुलकर्णी
क्या कहा एनआईए ने?
एनआईए ने अपनी अंतिम बहस में अदालत को बताया कि आरोपियों ने यह साजिश मुस्लिम समुदाय में भय फैलाने, आवश्यक सेवाओं को बाधित करने और साम्प्रदायिक तनाव पैदा करने के इरादे से रची थी। एजेंसी ने अदालत से “उचित सजा” की मांग की है।
बचाव पक्ष की दलीलें
साध्वी प्रज्ञा के वकील जेपी मिश्रा ने विश्वास जताया कि “सत्य की जीत होगी”। उनका कहना है कि इस मामले में कई झूठे सबूत पेश किए गए, और यह साबित किया जाएगा कि आरोपियों को जानबूझकर फंसाया गया।
केस में देरी क्यों हुई?
वकील जेपी मिश्रा के मुताबिक, पहले महाराष्ट्र एटीएस ने 12 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी, जिनमें से 5 को बाद में कोर्ट ने डिचार्ज कर दिया। दो अन्य आरोपियों — राकेश धावड़े और जगदीश चिंतामणि मातरे — के खिलाफ मामला पुणे और कल्याण की अदालतों में स्थानांतरित कर दिया गया।
फैसला और गिरफ्तारी
कोर्ट ने सभी आरोपियों को आज उपस्थित रहने का आदेश दिया है। यदि किसी को दोषी ठहराया गया, तो उसे तुरंत हिरासत में लिया जाएगा और आगे की सुनवाई में सज़ा का एलान होगा।
भाजपा की प्रतिक्रिया
भाजपा नेता राम कदम ने कहा कि यह मामला जब सामने आया था, तब महाराष्ट्र में कांग्रेस सरकार थी और उस समय जांच एजेंसियों पर दबाव डालकर हिन्दू संगठनों और उनके नेताओं को जानबूझकर फंसाया गया था। “अब न्यायपालिका से हमें न्याय की आशा है,” उन्होंने कहा।
2008 मालेगांव धमाके के इस बहुचर्चित केस में अब पूरा देश अदालत के फैसले की प्रतीक्षा कर रहा है। आज का दिन तय करेगा कि जिन पर आतंक के गंभीर आरोप लगे थे, वे दोषी हैं या निर्दोष।