जुबिली न्यूज डेस्क
नई दिल्ली। भारतीय शेयर बाजार इन दिनों भारी दबाव में है। बीते लगातार तीन ट्रेडिंग सेशनों में बाजार में तेज गिरावट दर्ज की गई है। सोमवार, 28 जुलाई को सेंसेक्स और निफ्टी में एक बार फिर गिरावट देखने को मिली, और मंगलवार को भी बाजार की शुरुआत कमजोर रही। इसके पीछे अमेरिका और भारत के बीच ट्रेड डील में हो रही देरी, विदेशी निवेशकों की बिकवाली, कमजोर कॉर्पोरेट नतीजे और टेक्निकल फैक्टर्स को प्रमुख कारण बताया जा रहा है।
बाजार से उड़े 13 लाख करोड़ रुपए
सोमवार को बीएसई सेंसेक्स 572 अंक यानी 0.70 फीसदी टूटकर 80,891.02 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 50 इंडेक्स 156 अंक या 0.63 फीसदी गिरकर 24,680.90 पर बंद हुआ। तीन सत्रों में सेंसेक्स कुल मिलाकर 1,836 अंक और निफ्टी 510 अंक से अधिक टूट चुका है।
तीन दिनों में निवेशकों को 13 लाख करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ है। बुधवार, 23 जुलाई को बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट कैपिटलाइजेशन 460.35 लाख करोड़ रुपये था, जो सोमवार तक गिरकर 448 लाख करोड़ रह गया। अकेले सोमवार को ही करीब 4 लाख करोड़ रुपए की बाजार से सफाई हो गई।
विदेशी निवेशकों की बिकवाली जारी
भारतीय शेयर बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) लगातार बिकवाली कर रहे हैं। जुलाई में अब तक FPI ने 30,509 करोड़ रुपए के शेयर बेच दिए हैं। केवल पिछले 5 कारोबारी दिनों में उन्होंने 13,550 करोड़ रुपए से अधिक की बिकवाली की है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय शेयरों की ऊंची वैल्यूएशन और अमेरिका-भारत के बीच अनिश्चित ट्रेड डील की स्थिति विदेशी निवेशकों को बेचने के लिए मजबूर कर रही है।
भारत-अमेरिका ट्रेड डील में देरी
विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका और भारत के बीच ट्रेड डील में देरी ने बाजार की धारणा को प्रभावित किया है। 1 अगस्त की टैरिफ डेडलाइन जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, निवेशक चिंतित हो रहे हैं। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इंवेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वी. के. विजयकुमार का कहना है कि भारत-अमेरिका ट्रेड डील अब भी अधर में है जबकि जापान और यूरोपियन यूनियन जैसे देशों से समझौते हो चुके हैं।
कमजोर तिमाही नतीजों से बढ़ी बेचैनी
भारतीय कंपनियों के पहली तिमाही के कमजोर नतीजे भी बाजार की गिरावट में योगदान दे रहे हैं। निवेशक अब सतर्क हो गए हैं और केवल मजबूत फंडामेंटल वाली कंपनियों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर कॉर्पोरेट आय में सुधार नहीं होता तो बाजार में और भी गिरावट देखी जा सकती है।
GDP ग्रोथ अनुमान में भी कटौती
एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) ने भारत की FY26 की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 6.7% से घटाकर 6.5% कर दिया है। वहीं, इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (Ind-Ra) ने भी जीडीपी ग्रोथ रेट को 6.6% से घटाकर 6.3% कर दिया है। इसका असर निवेशकों की धारणा पर पड़ा है।
टेक्निकल फैक्टर्स से भी दबाव
एक्सिस सिक्योरिटीज के मुताबिक, निफ्टी 20-दिवसीय SMA पर कड़ा प्रतिरोध देख रहा है। यदि निफ्टी 25,000 के नीचे बना रहता है, तो यह 24,500 से 24,300 तक फिसल सकता है। वहीं, 25,000 के ऊपर टिकने पर बाजार में सुधार की उम्मीद है।