जुबिली स्पेशल डेस्क
पटना. बिहार में अक्टूबर-नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले ‘रोज़गार बनाम रिकॉर्ड’ की जंग ने ज़ोर पकड़ लिया है। इस बहस की शुरुआत तेजस्वी यादव ने मार्च में पटना के गांधी मैदान में आयोजित ‘जन विश्वास महारैली’ से की थी, जहां उन्होंने बेरोज़गारी, पलायन और विकास को मुख्य चुनावी मुद्दा बनाते हुए “बीजेपी को झूठ की फैक्ट्री” कहा और RJD को “अधिकार, रोज़गार और विकास” की पार्टी बताया।
तेजस्वी का वादा: “20 महीने में 20 साल का हिसाब”
तेजस्वी यादव ने वादा किया कि यदि उनकी सरकार सत्ता में आती है, तो 20 महीने में वे वह करेंगे जो NDA 20 साल में नहीं कर सकी। पार्टी का ज़ोर इस बात पर है कि बिहार के युवाओं को पलायन न करना पड़े — यहीं रोज़गार मिले।
RJD के प्रमुख वादे
- 10 लाख सरकारी नौकरियां
- बेरोज़गारी भत्ता
- युवा आयोग का गठन
- बिहारी युवाओं के लिए मूलनिवासी रोज़गार नीति
RJD का दावा है कि ये वादे राज्य की बेरोज़गारी और औद्योगिक पिछड़ेपन का समाधान पेश करते हैं, जबकि NDA ने इस मोर्चे पर सिर्फ़ खोखले दावे किए हैं।
नीतीश का जवाब: “वादे नहीं, योजनाएं चाहिए”
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विपक्ष के आरोपों का जवाब योजनाओं की झड़ी लगाकर दिया है। उन्होंने हाल ही में कई रोजगार और युवा सशक्तिकरण योजनाएं लागू की हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
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- मुख्यमंत्री-प्रत्याय योजना: एक लाख युवाओं को ₹4,000-₹6,000 तक का मासिक वजीफा
- बिहार युवा आयोग: स्थानीय स्तर पर रोज़गार के अवसरों को प्राथमिकता देने वाला संस्थान
- जननायक कर्पूरी ठाकुर कौशल विश्वविद्यालय की स्थापना
- 2030 तक 1 करोड़ रोज़गार सृजन का लक्ष्य
नीतीश कुमार का दावा है कि सिर्फ़ जून-जुलाई में ही उन्होंने रोज़गार बढ़ाने के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं, और अब सरकारी-निजी साझेदारी से एक स्थायी रोजगार ढांचा बनाया जा रहा है।
निवेश नीति और औद्योगीकरण पर फोकस
नीतीश सरकार राज्य में निवेश बढ़ाने के लिए औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति के तहत काम कर रही है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार:
- अब तक 3,800 निवेश प्रस्ताव आए हैं
- 780 औद्योगिक इकाइयां चालू हैं
- 34,000 से अधिक रोजगार इन इकाइयों में सृजित हुए हैं
- अडानी, अंबुजा सीमेंट्स, कोका-कोला जैसे नाम बिहार में निवेश कर रहे हैं
- हाल ही में लॉन्च हुई अक्षय ऊर्जा नीति 2025 से 1.25 लाख नए रोजगारों का दावा
विपक्ष का पलटवार: “नौकरी चाहिए, नाटक नहीं”
राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार के युवाओं को “सरकारी नौकरियों का नाटक नहीं, स्थायी रोजगार चाहिए।” उन्होंने आरोप लगाया कि NDA सरकार ने 20 सालों में बिहार में कोई ठोस रोजगार नीति नहीं दी, और अब चुनाव के वक़्त योजनाएं सिर्फ़ दिखावा हैं।
राजद सांसद सुधाकर सिंह ने कहा, “रोज़गार के मुद्दे पर एनडीए अब विश्वसनीय नहीं रहा। वादे सिर्फ़ आरजेडी नहीं कर रही, हमने पहले भी कर दिखाया है।” वहीं कांग्रेस ने अपनी ‘नौकरी दो या सत्ता छोड़ो’ यात्रा से 5 लाख रिक्तियों और समान वेतन के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया है।
जदयू का पलटवार: “विकास का रिकॉर्ड हमारे पास है“
जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा:
“नीतीश कुमार ने जो भी कहा, वह किया। 2005-2014 में 8 लाख और पिछले 5 वर्षों में 12 लाख सरकारी नौकरियां दी गई हैं। हमारा लक्ष्य अब 1 करोड़ रोजगार है — यह सिर्फ़ घोषणा नहीं, नीति है।”
जदयू का तर्क है कि बिहार में कानून-व्यवस्था, महिला सशक्तिकरण और आधारभूत ढांचे के निर्माण जैसे मोर्चों पर उनकी सरकार की उपलब्धियां भरोसे की बुनियाद हैं।