जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। प्रयागराज महाकुंभ के समापन को काफी समय बीत चुका है, लेकिन इससे जुड़ा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। कुंभ के दौरान हुई भगदड़ में कई लोगों की मौत ने यूपी सरकार को विपक्ष के निशाने पर ला दिया।
हालांकि, भगदड़ में मृतकों की संख्या को लेकर कोई स्पष्ट आंकड़ा सामने नहीं आया। सवाल उठता है कि कुंभ में 37 लोग मरे या 82? सरकार का दावा है कि 37 श्रद्धालुओं की मौत हुई, जबकि मीडिया रिपोर्ट्स 82 लोगों की मौत का दावा करती हैं।
इस मुद्दे पर समाजवादी पार्टी के प्रमुख और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने सोशल मीडिया पर इस रिपोर्ट को साझा कर सरकार की कड़ी आलोचना की।
मामला यहीं तक सीमित नहीं रहा। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाई।
भगदड़ में जान गंवाने वालों के परिजनों को मुआवजा देने का वादा किया गया था, लेकिन अब तक मुआवजा नहीं दिया गया। हाईकोर्ट ने सरकार के रवैये को नागरिकों की पीड़ा के प्रति उदासीन करार दिया। जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह और जस्टिस संदीप जैन की बेंच ने यह सख्त टिप्पणी की।
यह मामला उदय प्रताप सिंह द्वारा दायर याचिका के जरिए कोर्ट पहुंचा, जिनकी पत्नी सुनैना देवी (उम्र 52 वर्ष से अधिक) की भगदड़ में गंभीर चोट लगने से मौत हो गई थी।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार से तीन अहम सवाल पूछे। पहला सवाल मुआवजे को लेकर था। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि ऐसे मामलों में नागरिकों की कोई गलती नहीं होती। 28 और 29 जनवरी की रात प्रयागराज में हुई भगदड़ में सरकार ने पहले 30 लोगों की मौत स्वीकारी, जिसे बाद में 37 तक माना गया। सरकार ने मृतकों के परिवारों को 25-25 लाख रुपये का मुआवजा देने का वादा किया था, जो अब तक पूरा नहीं हुआ।
प्रयागराज महाकुंभ के दौरान हुई भगदड़ के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाई है।
कोर्ट ने तीन अहम सवाल उठाए, जिनमें से दो पर हम यहाँ चर्चा करेंगे: दूसरा सवाल – डॉक्टरों और इलाज की जानकारी: कोर्ट ने जिला प्रशासन, चिकित्सा संस्थानों और अधिकारियों को आदेश दिया कि वे एक हलफनामा दाखिल करें। इस हलफनामे में 28 जनवरी को मरने वालों और घायलों का पूरा ब्यौरा होना चाहिए।
साथ ही, कोर्ट ने उन सभी डॉक्टरों की जानकारी मांगी है जिन्होंने घायलों का इलाज किया और जिन्हें मृत घोषित किया गया। अगर कोर्ट के इस आदेश के बाद डॉक्टरों और प्रशासन से पूरी जानकारी मिलती है, तो मृतकों और घायलों के बारे में और स्पष्टता आएगी।
तीसरा सवाल – सरकारी लापरवाही: याचिकाकर्ता उदय प्रताप सिंह ने कहा कि उनकी पत्नी सुनैना देवी का न तो पोस्टमॉर्टम हुआ और न ही परिवार को बताया गया कि उन्हें कब और किस हालत में अस्पताल ले जाया गया।
कोर्ट ने इसे सरकारी संस्थानों की गंभीर लापरवाही माना। इस मुद्दे पर समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने बीजेपी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जो सरकार मृतकों के बारे में झूठ बोल सकती है, उस पर भरोसा नहीं किया जा सकता। अखिलेश ने यह भी सवाल उठाया कि अगर कुछ लोगों को मुआवजा दिया गया, तो वह नकद में क्यों दिया गया और इसका आदेश कहाँ से आया?