जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। क्रिकेट एसोसिएशन लखनऊ (CAL) द्वारा आयोजित डॉ. अंशुल आलोक मेमोरियल अंडर-14 क्रिकेट प्रतियोगिता को लेकर क्लबों और क्रिकेट अकादमियों में भारी असंतोष देखने को मिल रहा है। क्लब प्रतिनिधियों का आरोप है कि खिलाड़ियों के पंजीकरण शुल्क और टीम एंट्री फीस में मनमानी की जा रही है। वहीं एसोसिएशन ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए आयोजन को “नो प्रॉफिट-नो लॉस” आधार पर संचालित बताया है।
क्लबों और अकादमियों के आरोप
प्रतिनिधियों का कहना है कि CAL ने क्लब नवीनीकरण के समय प्रति खिलाड़ी ₹200 शुल्क लिया था, लेकिन अंडर-14 प्रतियोगिता से पहले नए खिलाड़ियों के पंजीकरण पर अचानक ₹400 वसूले गए, जिसकी कोई आधिकारिक सूचना या सर्कुलर जारी नहीं किया गया।
इसके अलावा, प्रति टीम ₹20,000 की एंट्री फीस ली गई, लेकिन प्रतियोगिता में बुनियादी सुविधाओं का अभाव रहा। भीषण गर्मी के बावजूद मैदानों पर पीने के पानी और बैठने की उचित व्यवस्था नहीं की गई, और मैच स्थल भी 20-30 किलोमीटर दूर रखे गए, जिससे खिलाड़ियों और अभिभावकों को परेशानी हुई।
आयु सत्यापन को लेकर मैदानों पर रोजाना विवाद हो रहे हैं और क्लबों का कहना है कि उनसे किसी भी निर्णय में राय नहीं ली जा रही। क्लब प्रतिनिधि के अनुसार,“CAL की यह तानाशाही अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी। क्लब और अकादमी दो-दो लाख रुपये से अधिक पंजीकरण में खर्च कर रही हैं, लेकिन उन्हें उचित सम्मान और सुविधा नहीं मिल रही। जल्द ही हम इस मनमानी के खिलाफ आवाज बुलंद करेंगे।”
एसोसिएशन की सफाई
इन आरोपों के जवाब में एसोसिएशन ने कहा कि खिलाड़ियों से लिया गया शुल्क पूर्व निर्धारित नीति के तहत ही लिया गया है। एसोसिएशन के अनुसार,
“जब भी सीजन के मध्य में पंजीकरण खोला जाता है, तो ₹400 शुल्क लागू होता है। जबकि सीजन की शुरुआत में पंजीकरण या रिन्यूअल पर ₹200 शुल्क लिया जाता है। यह नीति वर्षों से चली आ रही है।”
एंट्री फीस पर एसोसिएशन का कहना है कि प्रत्येक टीम को कम से कम 6 मैच खेलने का अवसर मिल रहा है और यदि टीम नॉकआउट चरण तक पहुंचती है, तो यह संख्या 10 तक पहुंच सकती है। इस प्रकार प्रति खिलाड़ी के हिस्से ₹1,430 में 10 मैच खेलने का मौका मिल रहा है, जो किसी भी क्लब या अकादमी द्वारा इस लागत में उपलब्ध नहीं कराया जा सकता।
गर्मी में प्रतियोगिता आयोजन को लेकर एसोसिएशन ने तर्क दिया कि “देशभर में अधिकांश क्रिकेट प्रतियोगिताएं इसी मौसम में आयोजित होती हैं। लखनऊ की ऐतिहासिक शीशमहल प्रतियोगिता भी गर्मी में ही होती रही है।”
ट्रेनिंग और खर्च का विवरण
एसोसिएशन ने स्पष्ट किया कि अखिल भारतीय प्रतियोगिताओं में खिलाड़ियों की ट्रेनिंग और कैंप पर खर्च किए गए पैसे का पूरा लेखा-जोखा मौजूद है। इंटरनेशनल खिलाड़ियों और प्रशिक्षकों को भी बुलाया गया ताकि प्रतिभागियों को बेहतरीन प्रशिक्षण मिल सके। “हम किसी भी प्रकार के पैसों के दुरुपयोग के आरोप को सिरे से खारिज करते हैं। जरूरत पड़ने पर एसोसिएशन अपने खातों का ऑडिट भी करवा सकती है।”
इस विवाद ने लखनऊ क्रिकेट समुदाय में असंतोष की भावना को जन्म दिया है। एक ओर क्लब और अकादमियां CAL के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी में हैं, वहीं एसोसिएशन अपनी नीतियों और खर्च को पारदर्शी बताकर आरोपों का खंडन कर रही है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस टकराव का समाधान संवाद से होता है या संघर्ष से।