उबैद उल्लाह नासिर
भारत ने पहलगाम में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी हमले के जवाब में ऑपरेशन सिन्दूर द्वारा न सिर्फ उसके क्रूर दुस्साहस के मुंह तोड़ जवाब दे दिया बल्कि हमले के बाद हुई प्रेस ब्रीफिंग के लिए दो महिला सैनिक अफसरों कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर भूमिका सिंह को सामने ला के दो महत्वपूर्ण सन्देश न केवल पाकिस्तान को बल्कि अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी को भी दिए हैं, एक इस फौजी कार्रवाई को ऑपरेशन सिन्दूर का नाम दे कर पाकिस्तान को पहलगाम में हमारी बहन बेटियों का सिन्दूर उजाड़ने की सज़ा दी दुसरे महिलाओं अफसर को सामने ला कर महिला शक्ति का प्रदर्शन किया और तीसरे व अधिक महत्वपूर्ण एक मुस्लिम तथा एक हिन्दू महिला अफसर द्वारा भारत की सैकड़ों साल पुरानी हिन्दू मुस्लिम सह अस्तित्व एकता और देश के लिए साझी कुर्बानी का इतिहास याद दिलाया है I
विगत 16 अप्रेल को अपने एक भाषण में पाकिस्तान से सेनाध्यक्ष जनरल आसिम मुनीर ने मोहम्मद अली जिन्नाह की बोली बोलते हुए भारत के बटवारे का ज़िक्र किया और बोले की हिन्दुओं और मुसलामनों में कुछ समानता नहीं उनका खान पान रहन सहन पूजा पद्धति सब अलग है, इस लिए दोनों एकम साथ नहीं रह सकते थे जिसके कारण मुसलमानों को अलग देश पाकिस्तान बनवाना पड़ा I जिन्नाह की तरह ही जनरल आसिम मुनीर भी भारत के एक हज़ार साल से भी अधिक के इतिहास को झुटला रहे थे सदियों से भारत में हिन्दू मुसलमान साथ साथ रहते आएं हैं बेशक उनमें बहुत सी विभिन्ताएं हैं लेकिन यहाँ अनेकता में एकता की भी अनूठी मिसाल रही है,आपसी प्रेम, भाईचारा, शान्तिपूर्ण सहअस्तित्व और सब से बढ़ कर देश के निर्माण और अंग्रेजों की गुलामी से आज़ादी की लड़ाई में साझा कुर्बानी उनके बीच सब से मज़बूत Bond रहा है I भारत का बटवारा जहां जिन्नाह और उन जैसे अदूरदर्शी कट्टर पंथी मुस्लिम नेताओं की जिद और हठधर्मी के करण हुआ वहीं हिन्दू साम्प्रदायिक संगठनों ने भी अपना किरदार अदा किया था लेकिन इसके सब से बड़े गुनाहगार अंग्रेज़ थे.
जिन्नाह और उनकी मुस्लिम लीग जहां बटवारे की जिद पकडे हुए थी वहीँ उस समय के सभी मुस्लिम संगठन जैसे जमीअतुल उलेमा हिंद, खुदाई खिदमतगार,मजलिस अहरार,जमात इस्लामी,खाकसार तहरीक और केवल मौलाना आज़ाद और खान अब्दुल गफ्फार खान ही नहीं सभी तत्कालीन उलमा जैसे मौलाना हुसैन अहमद मदनी, मौलाना अबुल अला मौदूदी, मौलाना हिफजुर्रहमान स्योहार्वी , मौलाना अंजार शाह कश्मीरी आदि बटवारे के घोर विरोधी थे I इन सब का मत था की धर्म राष्ट्र की बुनियाद नहीं हो सकता बादमें यही विचार हमारे संविधान की भी बुनियाद बना I लेकिन ब्रिटिश साम्राज अपनी चाल चल रहा था, अरब देशों के सीने पर इजराइल नाम का खंजर घोंपा गया तो भारतीय उपमहाद्वीप को पाकिसतान जैसा नासूर दिया I दोनों का मकसद क्षेत्र को अस्थिर रखणा था ताकि अमरीका और ब्रिटेन जैसे साम्राजी देशों पर उनका निर्भरता बनी रहे और वह यहाँ के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करते रहें, दूसरा मकसद यह भी था की ब्रिटिश और यूरोपी साम्राज वाद को सब से ज्यादा टक्कर देने वाले मुसलमान कोई बड़ी सियासी, फौजी और आर्थिक ताक़त न बन सकें I
धर्मांध जनरल आसिम मुनीर जब कहता है की कलमा की बुनियाद पर पाकिस्तान बना तो लगभग उसी समय इजराइल किस बुनियाद पर बना था ? इस धर्मांध जनरल को शायद यह भी नहीं पता की बटवारे के बाद सरहद उस पार जो मुसलमान थे वह तो थे ही इस पार से केवल 10-15 प्रतिशत मुसलमान उधर गए थे उनमें से भी बहुतों को खास कर अविभाजित पंजाब और देहली से ज़बरदस्ती उधर धकेला गया था Iअपने इस ज़हरीले भाषण में जनरल मुनीर ने न केवल ऐतिहासिक सच्चाई को नाकारा बल्कि एक बार फिर बटवारे के घाव को हरा करने की गंदी कोशिश की I उसने जहाँ आज के माहौल में भारतीय मुसलमानों के लिए नई समस्याएं पैदा कर दीं वही खुद पाकिस्तान के अपने अल्पसंख्यकों हिन्दुओं और सिक्खों के लिए असुरक्षा और अविश्वास का माहौल पैदा कर दिया I
इस भ्रष्ट धर्मांध जनरल ने भारतीय मुसलमानों से दुश्मनी निकालने के लिए पहलगाम का शर्मनाक वीभत्स अमानवीय सम्प्रदायिक काण्ड करवाया जहाँ उसके ट्रेंड किये हुए आतंकवादियों ने 26 निर्दोष लोगों को उनका धर्म पूछ कर मौत के घाट उतार दिया I कश्मीर में आतंकवाद के 30 साल के इतिहास में यह दूसरी बार हुआ है की धर्म पूछ कर हत्याएं की गयीं I वास्तव में यह बहुत गहरी और खतरनाक साज़िश थे भारत खासकर भारतीय मुसलमानों के खिलाफ I जनरल मुनीर का शैतानी मंसूबा यह था की देश भर से आये पर्यटकों की धर्म पूछ कर केवल मर्दों की हत्या कीजये और जिंदा बही औरतें अपने अपने शहरों में जा कर यह सब बताएं जिससे भारत में कई स्थानों पर सम्प्रदायिक दंगे फूट पड़ें ज़ाहिर है इसकी सब से बड़ी कीमत भारतीय मुसलमानो को ही ऐडा करनी पड़ती वही मारे काटे जाते,उनके घरों पर बुलडोज़र चलते कठोर धाराओं में गिरिफ्तार कर के जेलों में सड़ाए जाते Iजिन्नाह और अंग्रेजों ने भारतीय मुसलमानों से जो दुश्मनी 1947 में निभाई थी वही दुश्मनी जनरल मुनीर 2025 में निभा रहा था I लेकिन भला हो कश्मीरी मुसलमानों का जिन्होंने जनरल मुनीर के शैतानी मंसूबे को मिटटी में मिला दिया इस लोमहर्षक हत्याकाण्ड के तुरंत बाद जहाँ सय्यद साजिद जैसे बहादुर नवजवान ने एक आतंकी की रायफल छीनलेने की हिम्मत दिखाई मगर खुद शहीद हो गया वाहें नजाकत अली ने 11 पर्यटकों को सुरक्षित निकाल कर उनकी जान बचायी क्षेत्र के सभी नागरिकों ने पर्यटकों की भरपूर सहायता की गरीब घोड़े वालों टैक्सी वालों ने होटल वालों ने किसी पर्यटक से कोई पैसा नहीं लिया वहीं हवाई जहाज़ क्म्पनियों ने आपदा में अवसर ढूंढते हुए किराया तीन गुना तक बढ़ा दिया.
बाद में कई दिनों की लूट के के बाद भारत सरकार की आँख खुली उसने सख्ती को तो हवाईजहाज़ कंपनियों की यह लूट रुकी जिन पर्यटकों ने अपनों को खोया था उन सब ने इस काण्ड को साम्प्रदायिक रंग न देने की अपील ही नहीं की बल्कि कश्मीरी मुसलमानों के सुलूक की दिल खोल के प्रशंसा की नवब्याहता हिमानशी नरवाल जो हनीमून मनाने कश्मीर गयी थी उसके नेवी के अफसर पति को निर्दयी आतंकवादियों ने मौत के घाट उतार दिया था लेकिन उसने कश्मीरी और आम मुसलमानों के प्रति कोई दुर्भावना नहीं दिखाई और खुले आम मुसलमानों की हिमायत में बयां दिया लेकिन इस देश में उभरा कथित राष्ट्रवादियो का नफरती गैंग उसे सद्भावना की यह बातें रास नहीं आयीं उसने जनरल मुनीर के शैतानी मंसूबे को पूरा करते हुए जगह जगह मुसलमानों कोनिशाना बनाना शुरू कर दिया आगरा में गुलफाम नामी एक गरीब लड़के और उसके साथी को उन्हीं आतंकियों की स्टाइल में धर्म पूछ कर गोली मार दी गयी और खुले आम कहा की 26 हिन्दुओं की हत्या का बदला 2600 मुसलमानों की हत्या कर के लेंगे ऐसे ही कांड और भी जगह ही हैं उधर इन हालात में भी सद्भाव और शांति के बात करने वालों को ट्रोल करने का सिलसिला भी चल रहा है खुद हिमांशी को भी निहायत गंदे गंदे शब्दों से नवाज़ा जा रहा है वरिष्ट पत्रकार और संपादक राहुल देव ने अपनी फोटो के साथ अपनी बेटी का भी फोटो अपनी आई दी में लगाया था वह मासूम प्यारी सी बच्ची भी इन दरिंदों की ट्रॉल्लिंग से नहीं बची मजबूरन राहुलदेव जी ने उसका फोतो अपनी आई दी से हटा दिया.
यह दुखद और शर्मनाक है की 20 14 के बाद राष्ट्रवादियो का एक ऐसा झुण्ड तैयार हो गया जो सरकार की सरपरस्ती में नैतिकता शराफत मानवीयता के सभी उसूलों को ता पर रख कर न केवल मुसलमानों बल्कि सद्भावना की बात करने वाले हिन्दुओं को भी नहीं बख्शता है यह बेलगाम लोग सर्कार की खुली सरपरस्ती के करण देश ही नहीं अब्ल्की मानवता के लिए भी खतरा बन गए हैं यह तत्व वास्तवमें हिटलर के troopers की तरह काम कर रहे हैं इ
तीन तीन युद्धों में पिटने और अपना आधा भूभाग खो देने के बाद पाकिस्तान को एहसास हो गया कि भारत को वह भारत को मैदान जंग में नहीं हरा सकता लेकिन 1971 के युद्ध में अपना आधा से भी अधिक हिस्सा खो देने से बिलबिलाये पाकिस्तान ने अपने धर्मान्ध फौजी तानाशाह जनरल जियाउल हक के समय में आतंकवाद के द्वारा भारत को “हजार घाव” लगाने की पालिसी अपनाई और इसका पूरा ज़िम्मा दे दिया अपनी सेना की ख़ुफ़िया शाखा इंटर सर्विस इन्तेलिजेंस (ISI) को जो धीरे धीरे कर के एक बेलगाम संगठन बन गयी है जिसपर किसी का भी काबू नहीं है I यह सिर्फ पाकिस्तान से बाहर आतंकी वारदाते नहीं कराती है बल्कि पाकिस्तान की राजनीति भी कंट्रोल करती है जिसका ताज़ा निशाना पूर्व प्रधान मंत्री इमरान खान बने हैं जिनकी सरकार न केवल तख्ता पलता गया बल्कि आम चुनाव में उनकी जीत को हार में बदल कर सेना विशेषकर ISI ने कई पार्टियों को इकट्ठा कर के आसिफ शरीफ के नेत्रित्व में सरकार बनवा दी क्योंकि स्व ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो की तरह इमरान खान भी सेना की नकेल कसने का दुस्साहस कर रहे थे I
पाकिस्तान के वर्तमान सेनाध्यक्ष जनरल आसिम मुनीर इससे पहले ISI के ही कमांडर थे I जनरल आसिम मुनीर भी जनरल जियाउल हक की तरह धर्मांध हैं और अपने प्रवचनों द्वारा सेनाध्यक्ष कम कठमुल्ला ज़्यादा होने का ज्यादा इम्प्रैशन देते हैं I
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं )