जुबिली स्पेशल डेस्क
जातीय जनगणना पर केंद्र सरकार के फैसले के बाद राजनीतिक दलों में अचानक हलचल तेज हो गई है और अब इसका श्रेय लेने की होड़ मचती दिखाई दे रही है।
दरअसल, जातीय जनगणना को लेकर राजनीतिक दल लंबे समय से मांग और वादे करते आए हैं। इतना ही नहीं, इसे चुनावी मुद्दा बनाकर राजनीतिक लाभ लेने की भरपूर कोशिश भी की गई है।
कांग्रेस पार्टी ने भी इस अहम मुद्दे पर बार-बार आवाज उठाई है। राहुल गांधी अपनी चुनावी सभाओं में जातीय जनगणना को लेकर लगातार मुखर रहे हैं। कांग्रेस इस मुद्दे को अपने हाथ से निकलने नहीं देना चाहती। मोदी सरकार की घोषणा के बाद कांग्रेस ने दिल्ली में एक पोस्टर भी जारी किया है, जिसमें लिखा है – “झुकती है दुनिया, झुकाने वाला चाहिए।”
इस पोस्टर के ज़रिए कांग्रेस यह संदेश देना चाहती है कि उसने केंद्र सरकार को झुकने पर मजबूर कर दिया और उसकी मांग को आखिरकार सरकार ने स्वीकार कर लिया।
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वहीं दूसरी ओर, बिहार की राजधानी पटना में जेडीयू और आरजेडी के बीच भी इस मुद्दे का श्रेय लेने की होड़ मच गई है। दोनों ही दलों ने जातीय जनगणना को लेकर अपने-अपने पोस्टर जारी किए हैं और इसे अपनी राजनीतिक जीत बताने की कोशिश कर रहे हैं।
केंद्र सरकार ने देश में जातिगत जनगणना कराने का फैसला लिया है। यह जनगणना आगामी जनगणना के साथ ही कराई जाएगी।
सरकार के इस अहम निर्णय के बाद विपक्ष की ओर से भी प्रतिक्रियाएं सामने आने लगी हैं। सरकार ने इसे आगामी राष्ट्रीय जनगणना के साथ जोड़ने का निर्णय लिया है। इस अहम फैसले के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई है और विपक्षी दलों की प्रतिक्रियाएं भी सामने आने लगी हैं।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक प्रेस वार्ता में सरकार के इस कदम का स्वागत किया है। उन्होंने इसे “देश के लिए आवश्यक और सकारात्मक पहल” बताया, लेकिन साथ ही कुछ अहम सवाल भी उठाए।
राहुल गांधी ने कहा, “हम जातिगत जनगणना का समर्थन करते हैं। यह जानना जरूरी है कि समाज के भीतर कौन कहां खड़ा है। यह आंकड़े नीति निर्धारण के लिए बेहद जरूरी हैं।”
उन्होंने केंद्र सरकार से यह स्पष्ट करने की मांग की कि यह जनगणना कब कराई जाएगी। साथ ही राहुल ने 50 फीसदी आरक्षण की सीमा को समाप्त करने की भी वकालत की।