बहराइच/लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को बहराइच में विदेशी आक्रांताओं का महिमामंडन करने वालों को देशद्रोही करार दिया। उन्होंने कहा कि आज पूरी दुनिया भारत की सनातन संस्कृति और परंपरा का गुणगान कर रही है तब भारत के महापुरुषों के प्रति श्रद्धा और सम्मान का भाव हर नागरिक का दायित्व होना चाहिए।
इन स्थितियों में किसी भी आक्रांता का महिमामंडन नहीं करना चाहिए। आक्रांता के महिमामंडन का मतलब देशद्रोह की नींव को पुख्ता करना है और स्वतंत्र भारत ऐसे किसी देशद्रोही को स्वीकार नहीं कर सकता है।
उन्होंने कहा कि जो लोग भारत के महापुरुषों को अपमानित करते हों, उन आक्रांताओं का महिमा मंडन करते हों जिन्होंने भारत की सनातन संस्कृति को रौंदने का कार्य किया था, बेटियों की इज्जत पर हाथ डालने और हमारी आस्था पर प्रहार किया था, उसे आज का यह नया भारत स्वीकार करने को कतई तैयार नहीं है।
मुख्यमंत्री बहराइच में तहसील मिहींपुरवा (मोतीपुर) के मुख्य भवन के साथ ही आवासीय भवनों का उद्घाटन करने पहुंचे थे। तहसील का मुख्य और आवासीय भवन 845.19 लाख की लागत से 2,138 वर्ग मीटर में निर्मित किया गया है।
पिछली सरकारें घोषणा करती थीं, काम नहीं
मुख्यमंत्री ने कहा कि बहराइच भारत की ऋषि परंपरा से जुड़ा हुआ जनपद है। कहते हैं महर्षि बालार्क का एक विश्व प्रसिद्ध आश्रम इसी बहराइच में था। बहराइच की पहचान और नाम उन्हीं बालार्क ऋषि के नाम पर था।
यह बहराइच वही ऐतिहासिक भूमि है जहां पर एक विदेशी आक्रांता को धूल धूषरित करते हुए महाराजा सुहेलदेव ने भारत की विजय पताका को फहराया था।
महाराज सुहेलदेव ने विदेशी आक्रांताओं के खिलाफ जिस शौर्य और पराक्रम का परिचय दिया उसी की परिणिति थी कि 150 वर्षो तक कोई विदेशी आक्रांता भारत पर हमला करने की दुस्साहस नहीं कर पाया था। इस पावन धरा बहराइच को उसकी पहचान से वंचित करने का प्रयास हुआ था।
पिछली सरकारें घोषणा करती थीं, लेकिन कार्य नहीं हो पाते थे। मिहींपुरवा तहसील में आज तक भवन नहीं था, जबकि एक सामान्य नागरिक के लिए सबसे ज्यादा कार्य तहसील से ही पड़ता है। भूमि संबंधी रिकॉर्ड हो, पैमाइश हो, वरासत की कार्यवाही हो, नामांतरण हो, बंटवारे का कार्य हो या फिर लैंड उसे से जुड़ी हुई इन सभी मामलों के निस्तारण का केंद्र तो तहसील है। जब तहसील का अपना भवन ही नहीं होगा तो एक सामान्य राजस्व से जुड़े मामलों में क्या न्याय मिल पाएगा।
33 लाख लंबित मामलों का किया निपटारा
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2017 में भारतीय जनता पार्टी की डबल इंजन की सरकार प्रदेश में आई उस समय 33 लाख से अधिक ऐसे राजस्व वाद थे जो लंबित पड़े थे।
यह मामले लंबित हैं तो गांव-गांव में मारपीट,बलवा होना, दबंग के द्वारा गरीब की जमीन को जबरन हथिया लेना आम बात रही होगी और यही कारण था उत्तर प्रदेश में पिछली सरकारों के निकम्मेपन के कारण यह केंद्र बेमानी और भ्रष्टाचार का अड्डा बन गए थे। एक सामान्य नागरिक न्याय की उम्मीद नहीं कर सकता था।
गरीब की आवाज को दबाया जाता था। हम लोगों ने समय सीमा तय की कि अगर वाद लंबित है तो जवाबदेही तय होगी। इसी का परिणाम है कि हम लोगों ने 33 लाख मामलों का निस्तारण करके गरीब को न्याय दिलाने का काम किया है।
सरकार की कार्यवाही का परिणाम है कि एंटी भू माफिया टास्क फोर्स के माध्यम से 64 हजार एकड़ लैंड को अवैध कब्जे से मुक्त करने का कार्य किया गया है। आज उसमें प्रदेश में निवेश आ रहा है।
डबल इंजन सरकार ने तय किया है कि हर गांव में ग्राम सचिवालय होगा। ग्राम सचिवालय में ऑप्टिकल फाइबर या वाईफाई की सुविधा देंगे और गांव में ही गांव के लोगों को बैंक की सुविधा मिलेगी।
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