जुबिली स्पेशल डेस्क
बिहार की राजनीति में रामविलास पासवान एक बड़ा नाम हुआ करते थे। उनको लोग राजनीति के बदलते मौसम के विशेषज्ञ के तौर पर लोग जानते थे।
हालांकि साल 2020 में उन्होंने दुनिया से रुखसत हो गए थे। ऐसे में उनके राजनीतिक वारिस को लेकर एक बार फिर चाचा और भतीजे में घमासान देखने को मिल रहा है।
इस वजह से एनडीए में भी परेशानी पैदा होती हुई दिख रही है। रामविलास पासवान के छोटे भाई केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने बगावत कर अपना अलग गुट बना लिया। कुछ साल से ही अलग-अलग हो गई है। अब लोकसभा चुनाव बेहद करीब है और चाचा और भतीजे दोनों एक बार फिर आमने-सामने है।

बीजेपी चिराग पासवान वाले गुट को 5 सीट ऑफर कर रही है उनके चाचा को मुश्किल एक भी सीट मिली भी नजर नहीं आ रही है। चाचा और भतीजे की रात की वजह से अभी तक बीजेपी वहां पर सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय नहीं कर पा रही है।
बीजेपी चाहती है कि किसी तरह चाचा और भतीजे को एनडीए गठबंधन में बनाए रखा जाए हालांकि चिराग पासवान को लेकर बीजेपी ज्यादा गंभीर है। हालत तो इतनी ज्यादा खराब हो चुके हैं कि चाचा और भतीजे एक ही जगह से लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहते हैं।
रामविलास पासवान की विरासत का दावा करने वाले पशुपतिनाथ पारस हाजीपुर की सीट चाहिए चुनाव लड़ने का इरादा जाहिर कर दिया है चिराग पासवान जी इसी सीट पर अपनी नज़रें बनाए हुए हैं। कुल मिलाकर चाचा और भतीजे की लड़ाई मैं सेट शरीफ के फार्मूले पर मुहर नहीं लगा सका है।
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