जुबिली न्यूज डेस्क
मामला मुख्य चिकित्सा अधिकारी बुलंदशहर का है, जहां पर कोविड वैक्सीन की डिलीवरी में धांधली करने की बात सामने आई है। बुलंदशहर निवासी मनोज कुमार सिंह ने दिनांक 10-9 22 को प्रमुख सचिव चिकित्सा सवास्थ्य एवं परिवार कल्याण और महानिदेशक परिवार कल्याण को शिकायती पत्र भेजा है। जिसमें मुख्य चिकित्सा अधिकारी बुलंदशहर द्वारा एनएचएम के अंतर्गत आरआई स्कीम में कोविड वैक्सीन की डिलीवरी हेतु लाखों रुपये के दोहरे भुगतान का प्रकरण उठाया है।

पूरा मामला क्या है
वित्तीय वर्ष 2021-22 में सीएमओ बुलंदशहर ने एनएचएम के अंतर्गत आने वाली आरआई स्कीम में कोविड वैक्सीन डिलीवरी के लिए सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों द्वारा एनएचएम में आवंटित बजट से भुगतान तो किया ही, फिर महानिदेशक परिवार कल्याण लखनऊ से स्टेट बजट में मिलने वाली धलराशि से भी इसी वैक्सीन डिलीवरी के लिए लाखों का भुगतान कर दिया। सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लखावटी में कोविड वैक्सीन डिलीवरी के लिए मनोज कुमार को 73 हजार 800 का भुगतान किया गया। और फिर स्टेट बजट से बिल संख्या 0526611934 द्वारा मनोज कुमार को 1 लाख 9 हजार 800 का भुगतान कर दिया गया। ये तो एक बानगी है, ऐसे भुगतान लगभग अधिकांश स्वास्थ्य केंद्रों पर किए गए हैं।
शिकायतकर्ता मनोज कुमार का आरोप है कि सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर स्टेट बजट और एनएचएम में आवंटित बजट से एक ही काम के लिए भुगतान किया गया है। जो दोहरे भुगतान का मामला है। इस तरह से लाखों रुपये की धाधली करने की बात कही गई है। सूत्रों के अनुसार ये भी जानकारी प्राप्त हुई है कि स्टेट आडिट में तत्संबंधी बिल प्रस्तुत नहीं किेये गए, जिससे दोहरे भुगतान को बल मिलता है। सूत्र ये भी बताते हैं कि ये मामला लगभग 58 लाख रुपए का है। सही तस्वीर तभी सामने आ पाएगी जब इसकी गहन जांच की जाय।
इस मामले में सीएमओ ने कही ये बात
सीएमओ बुलंदशहर डॉ वी के सिंह ने इस विषय पर दूरभाष से हुई वार्ता में जुबिली पोस्ट को बताया कि एनएचएम से प्राप्त बजट को नियमित टीकाकरण कि डिलीवरी पर व्यय किया गया जबकि स्टेट बजट से आई धनराशि को कोविड टीकाकरण की डिलीवरी के लिए भुगतान किया गया। इसमें किसी तरह की कोई अनियमितता नहीं की गई है।
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शिकायतकर्ता का कहना है कि कोविड वैक्सीन डिलीवरी के आरआई स्कीम से आहरित भुगतान एवं स्टेट बजट से किये गए भुगतान की स्पेशल आडिट टीम से जांच करा कर दोषी भ्रष्ट अधिकारियों के विरुद्ध कारवाई की जाय जिससे कि सरकार की छवि धूमिल न हो।
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