जुबिली स्पेशल डेस्क
पटना। बिहार में सियासी हलचल अब भी तेज है। नीतीश कुमार ने जिस तरह से बीजेपी को झटका दिया है वो शायाद खुद बीजेपी ने भी नहीं सोचा था कि उनके साथ ऐसा हो जायेगा। सत्ता बदलना कोई नई बात नहीं है लेकिन सत्ता बदलने में जोड़-तोड़ का खेल अक्सर देखा जाता है।
नम्बर की गेम की चिंता की जाती है लेकिन बिहार में नीतीश कुमार को न तो जोड़-तोड़ की जरूरत और न ही नम्बर की गेम की चिंता हुई क्योंकि महागठबंधन के साथ मिलकर उन्होंने नई सरकार बना डाली और एनडीए देखता ही रह गया।
इतना ही नहीं नीतीश कुमार की नई सरकार पिछली सरकार से काफी मजबूत है क्योंकि उनके पास 160 से ज्यादा लोगों को समर्थन हासिल है। ऐसे में इस नई सरकार को किसी तरह का खतरा नहीं है।
महागठबंधन के साथ उनकी नई सरकार आने वाले वक्त में कई और चौंकाने वाले फैसले कर सकती है। बिहार में कैबिनेट विस्तार को लेकर महागठबंधन द्वारा मंथन जारी है।

बिहार के नए उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने शुक्रवार को कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात कर राज्य में कैबिनेट विस्तार पर लम्बी बातचीत की है। वहीं तेजस्वी यादव ने दावा किया कि नीतीश कुमार के राष्ट्रीय जनता दल के नेतृत्व वाले महागठबंधन के साथ हाथ मिलाने के लिए फिर से भाजपा को छोडऩे की तर्ज में, देश में उसी मॉडल को दोहराया जाएगा।
तेजस्वी यादव यही नहीं रूके उन्होंने आगे कहा कि ‘यह सरकार जनता की सरकार है. अब इसे पूरे देश में दोहराया जाएगा क्योंकि लोग बेरोजगारी, महंगाई और सांप्रदायिकता से तंग आ चुके हैं।’
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार का निर्णय भाजपा की राजनीति की शैली के लिए एक तमाचा है और अपने पिछले झगड़े के आरोपों पर कहा कि हर घर में झगड़े होते हैं लेकिन हम एक ही समाजवादी मान्यताओं से हैं।
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