जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. मध्य प्रदेश की पुलिस बड़ी तेज़ी के साथ डिप्रेशन का शिकार होती जा रही है. लगातार काम के दबाव ने उसे डिप्रेस कर दिया है. क़ानून व्यवस्था का पालन कराने का ज़िम्मा संभालने वाली पुलिस की नब्ज़ पर हाथ रखा गया तो बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी डिप्रेशन का शिकार पाए गए. 31 फीसदी पुलिसकर्मी ब्लड प्रेशर के मरीज़ हैं.
मध्य प्रदेश की पुलिस में घर कर रही बीमारियों की जानकारी मिलने के बाद अब स्ट्रेस मैनेजमेंट का काम शुरू किया गया है. इसका मकसद पुलिस के मानसिक दबाव को कम करते हुए उनकी कार्य क्षमता को बढ़ाया जाए. इसके लिए पुलिस की रेग्युलर परेड के फार्मेट में बदलाव का फैसला भी लिया गया है.

इस नयी व्यवस्था में यह कोशिश की जा रही है कि पुलिस के तनाव को दूर किया जाए. उनकी फिटनेस को मेंटेन रखा जाये. पुलिसकर्मियों की समय-समय पर जांच कराकर यह देखा जायेगा कि उनका ब्लड प्रेशर सही है या नहीं. उनकी मानसिक और शारीरिक दशा कैसी है. पुलिस की मानसिक और शारीरिक क्षमता को बढ़ाने के लिए ही 166 साल पहले परेड की व्यवस्था की गई थी लेकिन समय के साथ हुए बदलाव की वजह से अब इस परेड के फार्मेट में भी बदलाव का फैसला किया गया है. इस रेग्युलर परेड में इमोशनल हेल्थ इक्सरसाइज को जोड़ा गया है. इसके ज़रिये पुलिसकर्मियों की शारीरिक क्षमता से जुड़ी तमाम जानकारियाँ मिल जायेंगी.
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