जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ. उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों में पहले चरण में अपनी किस्मत आजमाने के लिए मैदान में उतरने वालों में 25 फीसदी उम्मीदवारों ने खुद पर आपराधिक मामले दर्ज होने का खुलासा किया है. खुद पर आपराधिक मामले होने की बात स्वीकरने वाले उम्मीदवारों में सभी पार्टियों के उम्मीदवार शामिल हैं. कोई भी राजनीतिक दल यह कह पाने की स्थिति में नहीं है कि हमने आपराधिक छवि वालों को टिकट नहीं दिया है.
आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों की बात दलवार बात करें तो समाजवादी पार्टी द्वारा घोषित उम्मीदवारों में से 61 फीसदी उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं. राष्ट्रीय लोकदल के 52 फीसदी उम्मीदवारों पर गंभीर किस्म के आपराधिक मामले हैं. बीजेपी ने 39 फीसदी, कांग्रेस ने 19 फीसदी और आम आदमी पार्टी ने 10 फीसदी आपराधिक मुकदमों वाले उम्मीदवारों को टिकट दिया है.
उत्तर प्रदेश इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के पहले चरण में चुनाव लड़ने वाले 623 में से 615 उम्मीदवारों के शपथ पत्रों का विश्लेषण किया है जो 58 निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ रहे हैं. इस विश्लेषण के बाद यह तथ्य सामने आया है कि कोई भी राजनीतिक दल यह दावा कर पाने की स्थिति में नहीं है कि हमने आपराधिक छवि के उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया. किसी की संख्या कम है तो किसी की ज्यादा.

615 उम्मीदवारों द्वारा घोषित आपराधिक मामलों की बात करें तो इनमें से 156 उम्मीदवार यानि 25 फीसदी उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किए हैं. इनमें से 20 फीसदी उम्मीदवारों ने गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं.
अपराधिक मामले घोषित करने वाले उम्मीदवारों का दलवार विवरण देखें तो समाजवादी पार्टी के 28 में से 21, आरएलडी के 29 में से 17, बीजेपी के 57 में से 29, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 58 में से 21, बीएसपी के 56 में से 19 और आप के 52 में से 8 उम्मीदवारों ने अपने ऊपर अपराधिक मामले घोषित किए हैं.
महिलाओं के ऊपर अत्याचार से संबंधित मामले घोषित करने वाले उम्मीदवारों की संख्या भी एक दर्जन है. जिन्होंने महिलाओं के ऊपर अत्याचार से संबंधित मामले घोषित किए हैं, उनमें से एक उम्मीदवार ने अपने ऊपर बलात्कार से संबंधित मामला घोषित किया है. हत्या से संबंधित मामले घोषित करने वाले उम्मीदवारों की संख्या छह है. जिन्होंने अपने ऊपर धारा 302 से संबंधित मामले घोषित किए हैं. हत्या के प्रयास से संबंधित मामले घोषित करने वाले उम्मीदवार 30 हैं. जिन्होंने अपने ऊपर धारा 307 से संबंधित मामले घोषित किए हैं.
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के पहले चरण में 58 में से 31 (53 फीसदी) संवेदनशील निर्वाचन क्षेत्र हैं. जहां तीन या उससे अधिक उम्मीदवारों ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं. संवेदनशील निर्वाचन क्षेत्र से तात्पर्य ऐसे निर्वाचन क्षेत्रों से है, जहां तीन या उससे अधिक उम्मीदवार जिन्होंने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं.
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले चरण में उम्मीदवारों के चयन में राजनीतिक दलों द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का कोई प्रभाव नहीं पड़ा है, क्योंकि उन्होंने फिर से आपराधिक मामले वाले 25 फीसदी उम्मीदवारों को टिकट देने की अपनी पुरानी आदत का पालन किया है. उत्तर प्रदेश के पहले चरण के चुनाव लड़ने वाले सभी प्रमुख दलों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित करने वाले 15 फीसदी से 75 फीसदी उम्मीदवारों को टिकट दिए हैं. सर्वोच्च न्यायालय ने 13 फरवरी 2020 के अपने निर्देश में विशेष रूप से राजनीतिक दलों को आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों को चुनने और साफ छवि वाले उम्मीदवारों को टिकट नहीं देने का कारण बताने का निर्देश दिया था.
हाल ही में 2020-21 में हुए छह राज्यों के विधानसभा के चुनाव के दौरान भी यह देखा गया है कि राजनीतिक दलों द्वारा दिए गए ऐसे निराधार और आधारहीन कारण जैसे व्यक्ति की लोकप्रियता, अच्छे सामाजिक कार्य, राजनीति से प्रेरित मामले आदि यह दागी पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को टिकट देने के लिए ठोस कारण नहीं हैं. यह आंकड़े स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि राजनीतिक दलों को चुनाव प्रणाली में सुधार करने में कोई दिलचस्पी नहीं है, और हमारे लोकतंत्र में कानून तोड़ने वाले उम्मीदवार जीतने के बाद कानून बनाने वाले विधायक बन जाते हैं.
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