जुबिली स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली। काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद से वहां अफरातफरी का माहौल है।लोगों का देश छोडक़र जाने का सिलसिला जारी है। इस बीच तालिबान ने सरकार गठन की तैयारी तेज कर दी है।
उधर तालिबान को लेकर बड़ी खबर आ रही है। जानकारी मिल रही है कि तालिबान को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अपनी सोच बदली है। इसका ताजा उदाहरण तब देखने को मिला जब काबुल पर कब्जे के एक दिन बाद यानी 16 अगस्त को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने एक बयान जारी किया था।
इस बयान पर गौर करे तो इसमें तालिबान से अपील की गई थी कि वो किसी भी देश में आतंकवाद का समर्थन न करे। इस बयान में भारत ने भी हस्ताक्षर किए थे लेकिन जरूरी बात यह है कि इस बयान से तालिबन का नाम हटा लिया गया है।
इसमें एक बात को समझना बेहद जरूरी है क्योंकि इस महीने का अध्यक्ष भारत है और वो पहली बार पहली बार अध्यक्षता कर रहा है। ऐसे में उसने भी इसमें हस्ताक्षर किये हैं।
In diplomacy…
A fortnight is a long time…
The ‘T’ word is gone…🤔Compare the marked portions of @UN Security Council statements issued on 16 August & on 27 August… pic.twitter.com/BPZTk23oqX
— Syed Akbaruddin (@AkbaruddinIndia) August 28, 2021
इस बदलाव का सबसे पहले जिक्र संयुक्त राष्ट्र में भारत के पूर्व स्थायी प्रतिनिध सैयद अकबरुद्दीन ने किया. उन्होंने UNSC के स्टेटमेंट की कॉपी को शेयर करते हुए लिखा कि सिर्फ 15 दिनों में ‘T’ शब्द को हटा दिया गया है…
यूएनएससी का एक ताजा बयान भी सामने आया है जिसमें कहा गया है कि भारत ने 26 अगस्त को काबुल एयरपोर्ट पर हुए आतंकी हमले की निंदा की है। बता दें कि इस हमले में 170 लोगों की जिंदगी खत्म हो गई थी। इतना ही नहीं अमेरिका के 13 जवानों की मौत हो गई थी। इस आतंकी हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट खुरासान ने ली थी।
27 अगस्त के बयान पर गौर करे
ये बयान भारत के परमानेंट प्रतिनिधी टीएस तिरुमूर्ति ने बतौर यूएनएससी अध्यक्ष परिषद की ओर से जारी किया गया था। इस बयान में कहा गया था कि ‘सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने अफगानिस्तान में आतंकवाद का मुकाबला करने के महत्व को दोहराया ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि अफगानिस्तान के क्षेत्र का इस्तेमाल किसी भी देश को धमकी देने या हमला करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए और किसी भी अफगान समूह या व्यक्ति को किसी भी देश के क्षेत्र में सक्रिय आतंकवादियों का समर्थन नहीं करना चाहिए। रोचक बात यह है कि 16 अगस्त को लिखे गए पैराग्राफ को फिर से दोहराया गया लेकिन इसमें एक बदलाव करते हुए तालिबान का नाम हटा दिया गया।