जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. कोरोना महामारी के दौर में अनगिनत मरीज़ एम्बुलेंस में ही दम तोड़ गए. इस अस्पताल से उस अस्पताल तक घर वाले मरीजों को लेकर दौड़ते रहे लेकिन कहीं भी बेड खाली नहीं था. कोरोना के दौर में लोगों ने यह बात महसूस की थी कि देश को धर्मस्थलों से ज्यादा अस्पतालों की ज़रूरत है. बिहार के दरभंगा में छह साल पहले एम्स की घोषणा हुई थी. आज भी एम्स का विकास घोषणा तक ही सीमित है. अब मिथिला स्टूडेंट यूनियन ने जनसहयोग से दरभंगा में एम्स के निर्माण का फैसला किया है. इसके लिए हर घर से एक-एक ईंट का सहयोग लेना शुरू कर दिया है.

मिथिला स्टूडेंट यूनियन का कहना है कि हमारे छात्र साथी सिर्फ दरभंगा में ही नहीं बल्कि सीतामढ़ी, समस्तीपुर और मधुबनी समेत कई जिलों से घर-घर जाकर ईंटें जमा करने का काम कर रहे हैं. छात्रों का कहना है कि आठ सितम्बर को हम दरभंगा एम्स का शिलान्यास कर देंगे. उसके बाद शायद बिहार और केन्द्र सरकार की आँख खुल जाये.
छह साल पहले जब एम्स की घोषणा हुई थी तब यह कहा गया था कि चार साल के भीतर दरभंगा में एम्स का निर्माण पूरा कर लिया जायेगा. छह साल बीत गए मगर लगता ही नहीं कि सरकार की ऐसी कोई घोषणा भी थी. सरकार ने एलान किया था कि दरभंगा मेडिकल कालेज परिसर में ही एम्स बनाया जायेगा. इसके लिए 200 एकड़ ज़मीन भी दी गई थी मगर उसके बाद खामोशी छा गई.
यह भी पढ़ें : राजद और जेडीयू दोनों का ही घर भीतर से कमज़ोर
यह भी पढ़ें : मुफ्त गैस कनेक्शन पर एक और सरकार की हांडी चढ़ाने की तैयारी
यह भी पढ़ें : दो करोड़ 36 लाख किसानों को मिलेंगे चार हजार 720 करोड़ रुपए
यह भी पढ़ें : डंके की चोट पर : पता नहीं कौन सा दुश्मन कब हुर में बदल जाए
छात्रों ने अब अपनी मुहिम शुरू कर दी है वह कई जिलों में लोगों के घर जा रहे हैं वह लोगों को सरकार की एम्स की घोषणा के बारे में बताते हैं. एम्स कैसा अस्पताल होता है इसकी जानकारी देते हैं. एम्स बन जाने से दरभंगा के मरीजों को किस तरह का फायदा होगा यह बताते हैं इसके बाद सहयोग के रूप में सिर्फ एक ईंट मांगते हैं. छात्रों को जनता का भरपूर समर्थन मिल रहा है.
Jubilee Post | जुबिली पोस्ट News & Information Portal
