जुबिली स्पेशल डेस्क
पटना। लोक जनशक्ति पार्टी में दरार आ गई है। दरअसल चाचा और भतीजे की रार चरम पर जा पहुंची है। इसका नतीजा यह रहा कि चाचा पशुपति कुमार पारस ने अपनी अलग राह चुन ली है और अपना अलग गुट बना लिया है जबकि अपने भतीजे चिराग पासवान को अलग-थगल करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी है।
दोनों ही गुट अपने-अपने हिसाब से पार्टी पर अपना नियंत्रण करना चाहते हैं। चाचा पशुपति कुमार पारस के नेतृत्व वाले गुट ने चिराग को पार्टी अध्यक्ष पद से हटाया तो चिराग ने कड़ा एक्शन लेते हुए बतौर लोक जनशक्ति के अध्यक्ष की हैसियत से बागी पांच सांसदों को पार्टी से निकाल बाहर कर दिया है।
ऐसे में दोनों एक दूसरे खिलाफ कड़े तेवर दिखा रहे हैं और पार्टी पर अपना हक जता रहे हैं। ऐसे में अब देखना होगा कि आखिर किसकी लोकजनशक्ति पार्टी है। दोनों धड़े पार्टी पर अपने नियंत्रण का दावा कर रहे हैं, ऐसे में मामला निर्वाचन आयोग तक पहुंचने के आसार हैं।

पशुपति कुमार पारस ने सोमवार को बड़ा दाव चलते हुए पारस और चार सांसद एक पत्र लेकर लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला से मुलाकात कर चिराग को बड़ा झटका देते हुए लोकसभा में पार्टी के संसदीय दल के नेता बदलने की मांग कर डाली थी।
और रातों-रात उनकी इस मांग को मान लिया गया और पशुपति कुमार पारस को लोजपा संसदीय दल का नेता घोषित कर दिया गया।
हालांकि इस दौरान चिराग अपने चाचा से सुलह करने के लिए उनके घर के चक्कर काटते रहे लेकिन चाचा ने उनसे मिलने तक की जहमत नहीं की।

मंगलवार को चाचा और भतीजे में जंग तेज होती तब और दिखी जब पशुपति पारस ने लोकसभा में लोजपा संसदीय दल का नेता बनते ही एक्शन में आ गए और दिल्ली पहुंचते ही आनन-फानन में लोजपा के कार्यालय में उन्होंने एक बैठक बुलाई और चिराग पासवान को राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से बेदखल कर दिया। इसके बाद दोनों एक दूसरे के खिलाफ बोलते नजर आ रहे हैं।
उधर चिराग पासवान ने भी देर किये बगैर एक बैठक की अध्यक्षता में लोजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की हुई बैठक में पार्टी ने बागी पांच सांसदों को दल से निकाल दिया। यह भी तब किया गया है जब उनके चाचा पशुपति कुमार पारस के नेतृत्व वाले गुट ने चिराग को पार्टी अध्यक्ष पद से हटा दिया।
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