
जुबिली न्यूज़ डेस्क
मशहूर पत्रिका ‘टाइम’ ने हाल ही में 2020 की 100 सबसे ज्यादा प्रभावशाली लोगों की सूची में बिलकिस बानो को जगह दी थी। इस सूची में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी शामिल किया गया था।
बिलकिस बानो के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने शाहीन बाग में सीएए के विरोध में महिलाओं को इकठ्ठा करने का काम किया था। उनके कहने पर ही कई महिला प्रदर्शनकारी यहां एकत्र हुईं थी। बिलकिस बानो इस प्रदर्शन का चेहरा बनकर उभरी थी। जिसके लिए उन्हें टाइम मैगज़ीन द्वारा सम्मानित किया गया था।
यह भी पढ़ें : महाराष्ट्र में मंदिर खोलने को लेकर बवाल क्यों
इसके बाद एक इंटरव्यू में बिलकिस बानो ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने बेटे जैसा बताया था और उनसे मिलने की बात भी कही थी। लेकिन अब बिलकिस बानो ने गुजरात सरकार के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया है।
दरअसल मामला गुजरात दंगों से जुड़ा है. गुजरात सरकार ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि उसने बिल्किस बानो को 50 लाख रुपये और नौकरी दी है, जिनके साथ 2002 के दंगों के दौरान उस समय सामूहिक बलात्कार किया गया था, जब वह पांच महीने की गर्भवती थीं।
वहीं बानो ने अपने आवेदन में कहा कि जहां तक नौकरी की पेशकश और आवास संबंधी शीर्ष अदालत के आदेश का राज्य सरकार द्वारा अनुपालन किए जाने का सवाल है तो वह संतुष्ट नहीं हैं।
गुजरात सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, ‘याचिका गलत है।’ मेहता ने याचिका का विरोध करते हुए शुरू में कहा कि राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत के निर्देशानुसार बानो को 50 लाख रुपये और नौकरी दी है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत के अनुपालन के नाम पर केवल बातें करने का काम किया है। बानो ने अधिवक्ता शोभा गुप्ता के जरिए दायर याचिका में कहा कि आवास के नाम पर राज्य सरकार ने उसे केवल 50 वर्ग मीटर की जगह दी है, जो दस्तावेजों में बागवानी क्षेत्र के रूप में दर्ज है। उन्होंने कहा कि जहां तक नौकरी की बात है तो उन्हें सिंचाई विभाग में अनुबंध के आधार पर एक खास परियोजना के लिए चपरासी की नौकरी दी गई है।
हालांकि, प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना तथा न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने कहा कि वह मामले पर एक सप्ताह बाद सुनवाई करेगी। बता दें कि बिल्किस बानो के साथ 2002 के दंगों के दौरान उस समय सामूहिक बलात्कार किया गया था, जब वह पांच महीने की गर्भवती थीं। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को मुआवजा देने में देरी पर पिछले साल फटकार लगाई थी।
यह भी पढ़ें : जब प्यार की पहरेदार बन गयी यूपी पुलिस
यह भी पढ़ें : कंगना रनौत पर किसने दर्ज कराया एफआईआर?
Jubilee Post | जुबिली पोस्ट News & Information Portal
