न्यूज़ डेस्क
लॉकडाउन में मजदूरों की घर वापसी के लिए राज्यों से रेल किराया लेने का मामला सियासी तूल पकड़ता जा रहा है। दरअसल प्रवासी मजदूरों सहित तीर्थ यात्रियों को उनके गृह राज्यों तक पहुंचाने के लिए चलाई जा रही स्पेशल ट्रेनों के संचालन पर भारतीय रेल टिकट का किराया लेने का जिम्मा राज्य सरकारों को सौंपा था।
अपने निर्देश में रेलवे ने कहा था कि रेलवे द्वारा गंतव्य के लिए प्रिंट किये गये टिकट राज्यों द्वारा दी गई संख्या के आधार पर किये गये हैं जो ट्रेन की क्षमता यानी 1200 (90%) यात्री हैं।राज्य प्रशासन यात्रियों को रेलवे का टिकट सौंपेगा और उनसे किराया लेकर कुल राशि रेलवे में जमा कराएगा।
इस पर उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कड़ा विरोध जताया है।उन्होंने कहा कि ट्रेन से वापस घर ले जाए जा रहे गरीब, बेबस मजदूरों से भाजपा सरकार द्वारा पैसे लिए जाने की खबर बेहद शर्मनाक है। इससे ये साफ हो गया है कि पूंजीपतियों का अरबों माफ करने वाली भाजपा अमीरों के साथ है और गरीबों के खिलाफ।
ट्रेन से वापस घर ले जाए जा रहे गरीब, बेबस मज़दूरों से भाजपा सरकार द्वारा पैसे लिए जाने की ख़बर बेहद शर्मनाक है। आज साफ़ हो गया है कि पूँजीपतियों का अरबों माफ़ करनेवाली भाजपा अमीरों के साथ है और गरीबों के ख़िलाफ़।
विपत्ति के समय शोषण करना सूदखोरों का काम होता है, सरकार का नहीं।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) May 3, 2020
इससे पहले छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने इस मामले को हास्यास्पद बताया था।उन्होंने कहा कि था कि मजदूरों के लिए ट्रेन चलाने के लिए केंद्र सरकार को राज्यों से पैसा नहीं लेना चाहिए। ये हास्यास्पद है। केंद्र को इसमें सहायता करनी चाहिए।
इसके अलावा उन्होंने कहा था कि मजदूर बेहतर रोजी के लिए लोग बाहर जाते हैं।इस संकट की घड़ी में उनके आने के लिए हमने केंद्र से ट्रेन के लिए बात की थी।ट्रेन भारत सरकार की है लेकिन मजूदरों को वापस लाने के लिए राज्य सरकार से केंद्र पैसा ले, ऐसा करना गलत है।
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