न्यूज डेस्क
पिछले कई दिनों से चल रहे मध्य प्रदेश के सियासी घटनाक्रम में सियासत ने एक और बड़ी करवट ली है। कोरोना की वजह से कमलनाथ सरकार को फ्लोर टेस्ट से फिलहाल राहत मिल गई है। स्पीकर ने मध्य प्रदेश विधानसभा को 26 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी गई है।
राज्य में विधानसभा की कार्यवाही को 26 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। यानी सोमवार को कमलनाथ को फ्लोर टेस्ट की परीक्षा का सामना नहीं करना पड़ेगा। मध्य प्रदेश विधानसभा में आज फ्लोर टेस्ट नहीं होने से नाराज बीजेपी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। बीजेपी ने 48 घंटे में मामले की सुनवाई करने की मांग की है।
एक तरफ बीजेपी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है, तो वहीं अब बीजेपी के सभी विधायक एक बस में राजभवन पहुंचे हैं। बीजेपी के विधायक यहां मौजूदा स्थिति पर राज्यपाल से चर्चा कर सकते हैं।

इससे पहले राज्यपाल लालजी टंडन ने अपने अभिभाषण में कहा कि सभी सदस्यों को शुभकामना के साथ सलाह देना चाहता हूं कि प्रदेश की जो स्थिति है, उसमें अपना दायित्व शांतिपूर्ण तरीके से निभाएं। लालजी टंडन ने जैसे ही अपनी बात पूरी की तो विधानसभा में हंगामा हुआ। तबीयत खराब होने की वजह से राज्यपाल ने अपना पूरा भाषण नहीं पढ़ा, वह सिर्फ अभिभाषण की पहली और आखिरी लाइन ही पढ़ पाए।
गौरतलब है कि राज्यपाल लालजी टंडन ने तो सोमवार को फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया था लेकिन सदन की कार्यवाही में टेस्ट की प्रक्रिया लिस्टेड नहीं है। आधी रात में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राज्यपाल से मुलाकात भी की है।
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राज्यपाल से मुलाकात के बाद कहा कि फ्लोर टेस्ट पर स्पीकर फैसला लेंगे। उन्होंने कहा कि वे पहले ही राज्यपाल को लिखित सूचना दे चुके हैं कि उनकी सरकार फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार है, लेकिन बंधक बनाए गए विधायकों को पहले छोड़ा जाए।

कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी ने कांग्रेस के विधायकों को बंधक बनाकर रखा है और एमपी में कमलनाथ की सरकार को अस्थिर करना चाहती है। पार्टी का कहना है कि इन विधायकों को छोड़े बगैर विधानसभा में फ्लोर टेस्ट नहीं कराया जा सकता। कमलनाथ ने फ्लोर टेस्ट से पहले सभी विधायकों का कोरोना वायरस टेस्ट कराने की भी मांग की है।
विधानसभा में फ्लोर टेस्ट पर सस्पेंस इसलिए है क्योंकि स्पीकर की ओर से विधानसभा के कार्यक्रम की जो लिस्ट जारी की गई है उसमें राज्यपाल के अभिभाषण के बाद फ्लोर टेस्ट का जिक्र नहीं किया गया है।
मध्य प्रदेश के मंत्री पीसी शर्मा ने कहा- कांग्रेस के बागी विधायक जो बेंगलुरु में हैं, उनको सम्मोहित और प्रताड़ित किया जा रहा है। कुछ लोग उन्हें राज्य में आने नहीं दे रहे हैं, उनके परिवारों को परेशान किया जा रहा है।

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश होली से एक दिन पहले 9 मार्च को सियासी उठापटक तेज हो गई थी। राज्य के कद्दावर कांग्रेसी नेता रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक 22 कांग्रेस विधायक अचानक भोपाल से कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु चले गए।
इन 22 विधायकों में से 6 कमलनाथ सरकार में मंत्री भी थे। इस सभी विधायकों ने अपने इस्तीफे स्पीकर को सौंप दिए हैं। स्पीकर ने 6 मंत्रियों का इस्तीफा तो स्वीकार कर लिया है, लेकिन 16 विधायकों का इस्तीफा अभी उन्होंने स्वीकार नहीं किया है।
बताते चले कि कुल 230 सदस्यीय विधानसभा में दो स्थान रिक्त हैं। अब कांग्रेस के 108, बीजेपी के 107, बीएसपी के दो, एसपी का एक और निर्दलीय चार विधायक बचे हैं। यानी विधानसभा में सदस्यों की कुल संख्या 222 रह गई है। लिहाजा बहुमत के लिए 112 विधायकों की जरूरत होगी।
इस तरह कांग्रेस के पास चार विधायक कम है। कांग्रेस के पास एसपी, बीएसपी और निर्दलीयों को मिलाकर कुल सात अतिरिक्त विधायकों का समर्थन हासिल है। यदि यह स्थिति रहती है तो कांग्रेस के पास कुल 115 विधायकों का समर्थन होगा। लेकिन 16 विधायकों के इस्तीफे मंजूर होने पर कांग्रेस के विधायकों की संख्या 92 ही रह जाएगी।
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